धनुरासन, सरल धनुरासन, पूर्ण धनुरासन, धनुरासन की विधि, लाभ, सावधानियाँ और नुकासान,Dhanurasana, Saral Dhanurasana, Poorna Dhanurasana, Dhanurasana Ki Vidhi, Labh, Savdhaniyan aur Nuksan

Written by: Dr. Virendra Singh

Edited by: Pratibha Thakur 

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धनुरासन (Dhanurasana)

धनुरासन एक प्रसिद्ध योग आसन है, जिसे उत्तानमायुरासन भी कहा जाता है। इस आसन में, व्यक्ति अपने पेट पर लेटकर अपनी पांवों को पीछे की ओर उठाता है और अपने हाथों को पीछे की ओर बाढानें की कोशिश करता है, जैसे कि धनुष खींच रहा हो।

इस आसन का नाम उसके दृश्य के साथ मिलता है, इस आसन के करने के दौरान व्यक्ति धनुष के समान दिखता है यह आसन पूरे शरीर को संतुलित रूप से स्ट्रेच करने में मदद करता है, खासकर स्पाइन, पेशियों, और पेट के क्षेत्र को मजबूती देने के लिए। योग का अभ्यास करने वाले लोग इस आसन को अपने दैनिक योग प्रैक्टिस में शामिल करते हैं, ताकि उन्हें शारीरिक और मानसिक लाभ मिल सके।इस लेख में हम आगे जानेंगे कि धनुरासन क्या है? (what is Dhanurasana?), धनुरासन करने की विधि(method of Dhanurasana in hindi), धनुरासन करने के फायदे(benefits of Dhanurasana in hindi ), यदि धनुरासन को सावधानीपूर्वक किया जाये तो क्या क्या नुकसान हो सकते है ,धनुरासन के पीछे का विज्ञान, धनुरासन का आध्यात्मिक महत्व , धनुरासन कब नहीं करना चाहिए और धनुरासन करते समय सावधानियों (Dhanurasana precautions in hindi) के बारे में विस्तृत रूप से उल्लेख किया जायेगा साथ ही साथ सरल धनुरासन क्या है?, सरल धनुरासन करने का सही तरीका और पूर्ण धनुरासन क्या है, पूर्ण धनुरासन की विधि इन सभी बातों को विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है  जिससे हम सही तकनीकी से इन आसनों का अभ्यास कर सकें और इन आसनों से होने वाले संपूर्ण फायदों का अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में  लाभ उठा सकें जिससे हम स्वस्थ रहें, खुश रहें, मजबूत रहें और समृद्ध रहें।


विषय सूची


•  धनुरासन क्या है?(What is Dhanurasana?)


•  धनुरासन करने से पहले यह आसन करें(Do this asana before doing Dhanurasana)


•  धनुरासन की विधि(Method of Dhanurasana)


•  धनुरासन में श्वसन(Breathing in Dhanurasana)


•  धनुरासन की अवधि(Dhanurasana duration)


•  धनुरासन में जागरूकता(Awareness in Dhanurasana)


•  धनुरासन करने के बाद यह आसन करें(Do this asana after doing Dhanurasana)


•  शुरुआती लोगों के लिए धनुरासन करने के टिप्स(Beginners tips to do Dhanurasana in hindi)


•  सरल धनुरासन(Easy Bow Pose)


•  सरल धनुरासन करने का तरीका(How to do simple Dhanurasana)


•  पूर्ण धनुरासन(Poorna Dhanurasana)


•  पूर्ण धनुरासन की विधि(Method of Poorna Dhanurasana)


•  धनुरासन के लाभ(Benefits of Dhanurasana)


•  धनुरासन के लाभ मोटापा कम करने में(Benefits of Dhanurasana in reducing obesity)


•  धनुरासन के फायदे जठरांत्रिय विकार में(Benefits of Dhanurasana in gastrointestinal disorders)


•  धनुरासन के लाभ लिवर में(Benefits of Dhanurasana in liver)


•  धनुरासन के लाभ रीढ़ की हड्डी के वक्ष क्षेत्र के कूबड़ को ठीक करने में(Benefits of Dhanurasana in correcting the hump in the thoracic region of the spine)


•   धनुरासन के फायदे मधुमेह में(Benefits of Dhanurasana in diabetes)


•  धनुरासन के फायदे अपच में(Benefits of Dhanurasana in dyspepsia)


•  धनुरासन के लाभ खून साफ करने में(Benefits of Dhanurasana in purifying the blood)


•  धनुरासन के लाभ किडनी स्वस्थ रखने में(Benefits of Dhanurasana in keeping kidneys healthy)


•  धनुरासन के लाभ हृदय के लिए(Benefits of Dhanurasana for the heart)


•  धनुरासन के फायदे अस्थमा रोगियों के लिए(Benefits of Dhanurasana for asthma patients)


•  धनुरासन के लाभ कमर दर्द में(Benefits of Dhanurasana in back pain)


•  धनुरासन के फायदे थायरॉइड में(Benefits of Dhanurasana in thyroid)


•  धनुरासन के लाभ पाचन शक्ति बढ़ाने में(Benefits of Dhanurasana in increasing digestion power)


•  धनुरासन के फायदे तनाव कम करने में(Benefits of Dhanurasana in reducing stress)


•  धनुरासन के फायदे भुजाओं में(Benefits of Dhanurasana in arms)


•  धनुरासन के फायदे जाँघों के लिए(Benefits of Dhanurasana for thighs)


•  धनुरासन के फायदे छाती(चेस्ट) के लिये(Benefits of Dhanurasana for chest)


•  धनुरासन का लाभ त्वचा में(Benefits of Dhanurasana for skin)


•  धनुरासन के फायदे सुषुम्ना नाड़ी में(Benefits of Dhanurasana in Sushumna nadi)


•  धनुरासन के फायदे कुंडलिनी जागृत में(Benefits of Dhanurasana in Kundalini jagarana)


•  धनुरासन के लाभ मासिक धर्म में(Benefits of Dhanurasana during menstruation)


•  धनुरासन का लाभ आहार नली में(Benefits of Dhanurasana in the alimentary canal)


•  धनुरासन के लाभ कब्ज में(Benefits of Dhanurasana in constipation)


•  धनुरासन का लाभ श्वास विकार के लिये(Benefits of Dhanurasana for breathing disorders)


•  धनुरासन के लाभ पैनक्रियाज और एड्रीनल ग्लैंड्स में(Benefits of Dhanurasana in pancreas and adrenal glands)


•  धनुरासन के लाभ प्रजनन अंगों के संतुलन में(Benefits of Dhanurasana in balancing the reproductive organs)


•  धनुरासन के फायदे स्तन विकास के लिए(Benefits of Dhanurasana for breast development)


•  धनुरासन का लाभ पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में(Benefits of Dhanurasana in strengthening the abdominal muscles)


•  धनुरासन के लाभ चिंता और अवसाद में(Benefits of Dhanurasana in anxiety and depression)


•  अग्न्याशय में धनुरासन के फायदे(Benefits of Dhanurasana in pancreas)


•  छोटी और बड़ी आँत में धनुरासन के लाभ(Benefits of Dhanurasana in small and large intestine)


•  शरीर में लचीला पन बढ़ाये धनुरासन(Dhanurasana increases flexibility in the body)


•  धनुरासन के लाभ यौन समस्याओं में(Benefits of Dhanurasana in sexual problems)


•  धनुरासन के फायदे सर्वाइकल में(Benefits of Dhanurasana in cervical)


•  धनुरासन के फायदे साइटिका में(Benefits of Dhanurasana in sciatica)


•  धनुरासन के फायदे उच्च रक्त चाप में(Benefits of Dhanurasana in high blood pressure)


•  धनुरासन के लाभ नपुंसकता दूर करने में(Benefits of Dhanurasana in removing impotence)


.   धनुरासन के लाभ किडनी संक्रमण में(Benefits of Dhanurasana in kidney infection)


   धनुरासन के आध्यात्मिक लाभ(Spiritual Benefits of Dhanurasana in hindi)


   धनुरासन के नुकसान(Disadvantages of Dhanurasana)


   धनुरासन के पीछे का विज्ञान(Science Behind The Dhanurasana)


   धनुरासन की सावधानियाँ(Precautions for Dhanurasana)


   निष्कर्ष(Conclusion)


धनुरासन क्या है? (What is Dhanurasana?)


धनुरासन दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द धनु जिसका अर्थ है धनुष(bow) और दूसरा शब्द आसन जिसका अर्थ है मुद्रा (pose)से है।इसीलिए दोनों शब्दों को मिलाकर धनुरासन कहते है या इसको इस तरह से भी कह सकते है कि इस आसन को करने से इसकी आकृति धनुष के समान दिखायी देती है इसीलिए इसे धनुरासन के नाम से जाना जाता है।

इस आसन को करने से हमारे मेरुदंड, जाँघ, पेट , कंधे, गर्दन, नितम्ब की मांसपेशियों में, चेस्ट के भागों में खिचाव उत्पन्न होता है , जिससे इन अंगों की कार्य क्षमता बड़ती है और साथ साथ इन अंगों में लचीलापन बढ़ता है जिससे हमें स्वस्थ और मजबूत रहने में मदद मिलती है


धनुरासन करने से पहले यह आसन करें (Do this asana before doing Dhanurasana)


धनुरासन का अभ्यास करने से पहले हमें कुछ पीछे झुकने वाले आसन और कुछ आगे झुकने वाले आसनों का अभ्यास  पहले कर लेना चाहिये जिससे शरीर इस आसन को करने के लिए तैयार हो जाये और किसी प्रकार का शरीर में अधिक खिंचाव, चोट या नुकसान हो जिससे हमारा अभ्यास सही तकनीक के साथ हो सके और हम उसका पूरा लाभ ले सकें कुछ आसन नीचे बताये गये है जो आप अपनी क्षमता और जरूरत के अनुसार अभ्यास में सामिल कर सकते है


  • ताड़ासन
  • तिरियक ताड़ासन
  • मार्जरी आसन
  • तिलली आसन
  • शशांकासन
  • उष्ट्रासन
  • वज्रासन
  • बालासन
  • पवनमुक्तासन
  • भुजंगासन
  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन
  • सुप्त वीरासन
  • शलभासन
  • सेतु बंधासन
  • सर्वांगासन
  • सूर्य नमस्कार

भोजन के कम से कम चार या पाँच घंटे बाद तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।


धनुरासन की विधि (Method of Dhanurasana)

धनुरासन

इस आसन की विधि का उल्लेख नीचे निम्न प्रकार से इस लेख में किया गया है:


  • धनुरासन का अभ्यास करने के लिए सर्वप्रथम समतल साफ सुथरी जमीन पर मैट, दरी या चादर बिछा कर पेट के बल लेट जाये।
  • अब दोनों हाथों को अपने कमर के बगल में सटा कर सीधा रखें और दोनों पैरों को एक साथ सीधा रखें और साँसों को सामान्य रखें।
  • इसके बाद दोनों परों के घुटनों को मोड़ें और एड़ियों को नितंबों के पास लाएं।
  • दाहिने हाथ से अपने पैर का दाया टखना (ankle) और बाये हाथ से पैर का  बायाँ टखना(ankle) चारों ओर से पकड़ें।
  • साथ ही ठोड़ी को फर्श पर रखें।
  • यह हमारी प्रारंभिक स्थिति है।
  • इसके बाद पैर की मांसपेशियों को तनाव दें और पैरों को शरीर से दूर धकेलें।
  • अब गहरी सांस भरें पीठ को झुकाएं, जांघों, छाती और सिर को जितना सम्भव हो एक साथ धीरे धीरे ऊपर उठाएं।
  • भुजाओं को सीधा रखने का प्रयास करें।
  • अंतिम स्थिति में सिर पीछे की ओर झुका होता है और पेट पूरे शरीर को फर्श पर सहारा देता है।
  • मांसपेशियों में एकमात्र संकुचन पैरों में होता है, पीठ और भुजाएं शिथिल रहती हैं।
  • जब तक आरामदायक हो तब तक अंतिम स्थिति में बने रहें इस स्थिति में साँसों को रोककर(hold) रखें ।
  • इसके बाद फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ने हुए पैर की मांसपेशियों को आराम देते हुए, पैरों, छाती और सिर को प्रारंभिक स्थिति में ले आएं।
  • दोनों पैरों को हाथों से छोड़ दे और पैर सीधे कर लें।
  • आराम दायक प्रणव मुद्रा में अपने शरीर को छोड दें और कुछ समय के लिये विश्राम करें जब तक की श्वसन सामान्य हो जाए।
  • यह धनुरासन का एक चक्र सम्पन्न हुआ।


अपनी शरीर की क्षमतानुसार और जरूरत के अनुसार इस आसन के चक्र बढ़ाये जा सकते है क्योंकि सभी कि जरूरत अलग अलग हो सकतीं है।


धनुरासन में श्वसन (Breathing in Dhanurasana)


  • प्रारंभिक स्थिति में गहरी सांस लें।
  • शरीर को ऊपर उठाते समय सांस को रोककर रखें, अंतिम स्थिति या अभ्यास में सांस को अंदर ही रोककर रखें
  • सांस छोड़ते हुए आसन की प्रारंभिक अवस्था में आयें।


धनुरासन की अवधि (Dhanurasana duration)


प्रारंभिक अभ्यास में इसको एक से दो चक्र करें इसके बाद जैसे जैसे आप अभ्यस्त होते जाये इसके चक्रों की संख्या बड़ा सकते है सामान्य अवस्था में यह तीन से चार चक्र में किया जा सकता है बाकी सभी की जरूरत अलग अलग हो सकती है , शरीर की आवश्यकता और क्षमता के अनुसार अभ्यास करें तो बेहतर होगा, जब तक अपनी साँसों को आसानी से रोक सकते है तब तक इस आसन को होल्ड किया जा सकता है।


धनुरासन में जागरूकता (Awareness in Dhanurasana)


शारीरिक- पेट के क्षेत्र पर, पीठ पर या पेट के लयबद्ध विस्तार और संकुचन से लेकर धीमी, गहरी सांस तक जागरूकता


आध्यात्मिक- विशुद्धि, अनाहत और मणिपुर चक्र पर जागरूकता।


धनुरासन करने के बाद यह आसन करें (Do this asana after doing Dhanurasana)


धनुरासन करने के बाद कमर ,हाथ और पैर में खिचाव महसूस होता है इसीलिए इसके अभ्यास के बाद कुछ येसे आसनों का अभ्यास करना आवश्यक हो जाता है जिससे शरीर में कोई दर्द रहे शरीर की थकान दूर हो जाये और किसी भी प्रकार से शरीर में नुकसान पहुँचे साथ ही साथ धनुरासन के अभ्यास का पूरा पूरा लाभ प्राप्त हो सके। यहाँ कुछ आसनों को बताया गया है अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार अपने अभ्यास में सामिल किया जा सकता है


  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन

  • मकरासन

  • मत्सक्रिडासना

  • मत्स्यासन

  • सेतु बंध सर्वांगासन

  • सेतुबंधासन

  • बालासन

  • पश्चिमोत्तानासन

  • ऊर्ध्व धनुरासन या चक्रासन

  • शशांकासन

  • चक्रासन

  • शवासन


शुरुआती लोगों के लिए धनुरासन करने के टिप्स (Beginners tips to do Dhanurasana in hindi)


यदि कोई अभ्यासी पहली बार धनुरासन का अभ्यास कर रहा है तो उसको किसी योग्य गुरु के देख रेख में अभ्यास करना चाहिए और कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जो नीचे इस लेख में बतायी गई है

  • योगासनों का अभ्यास अपने शरीर की क्षमतानुसार करें।
  • साँसों पर विशेष ध्यान रखें जिससे आप इस आसन से पूर्णतः लाभ उठा सकें
  • अपने शरीर की सुनें यदि हमारा शरीर थकान महसूस कर रहा है तो अभ्यास को वही विराम दे दें।
  • प्रत्येक आसन के बाद कुछ समय का विश्राम करें जिससे शरीर में थकावट नहीं होगी और शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी।
  • हमेशा अभ्यास किसी शांत और साफ सुथरे स्थान पर करें।
  • हमेशा खाली पेट अभ्यास करें
  • अभ्यास का समय यदि दिन में निश्चित रखें तो बेहतर होगा क्योंकि शरीर की आदत पड़ जाती है।
  • आसन के बाद प्राणायाम और मुद्रा अवश्य करें।
  • सर्वप्रथम धनुरासन का अभ्यास एक या दो बार ही करें।
  • यदि शरीर का ऊपरी और निचला हिस्सा जमीन से ज्यादा नहीं उठता है तो जबरजस्ती करें क्योंकि येसा करने से अधिक खिचाव चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है।
  • आसन करते समय यह भी ध्यान रखें कि शरीर में किसी तरह का तनाव तो नहीं बन रहा है।
  • प्रारंभिक अभ्यास में यदि अपने पैरों को उपर उठाने में मुस्किल हो रही है तो किसी के द्वारा सहयोग ले सकते है।
  • इस आसन में यदि जाँघें ऊपर नहीं उठ रहीं है तो जाँघों को सहारा देने के लिए किसी ब्लॉक , ब्रेक्स या कंबल या टावेल को रोल करके अपने जाघों के नीचे सपोर्ट लिया जा सकता है।जिससे जाघों को  ऊपर उठाने में मदद मिलेगी।
  • आसन करते समय एकाग्रता बनाये रखें।
  • इसका अभ्यास तभी करें जब हमारा पेट ठीक से साफ हो गया हो।
  • धनुरासन करने से पहले कुछ आसन कर ले जिससे शरीर खुल जाये कुछ पीछे झुकने वाले आसन और कुछ आगे झुकने वाले आसनों का अभ्यास कर ले जो धनुरासन को करने में सहायता केरेंगे।
  • जल्दबाजी में कोई भी अभ्यास करें शांतिपूर्ण मन से अभ्यास को करें।
  • अभ्यास के दौरान दूसरे को देख कर प्रतिस्पर्धा करें क्योंकि सभी का शरीर अलग होता है सभी कि अलग अलग क्षमता हो सकती है अपने शरीर के क्षमतानुसार ही अभ्यास करें जितना आपके लिये संभव हो।
  • पेट में यदि तीव्र दर्द है तो उस परिस्थिति में धनुरासन का अभ्यास करें नहीं तो लाभ के स्थान पर नुकसान हो सकते है।
  • पेट में यदि किसी प्रकार का संक्रमण है तो इस परिस्थिति में धनुरासन का अभ्यास करें तो बेहतर होगा।

सरल धनुरासन (Easy Bow Pose)


सरल धनुरासन जैसा कि नाम से पता चलता है की यह धनुरासन का सरल रूप है जो व्यक्ति प्रारंभिक दिनों में धनुरासन का अभ्यास सुरू किया है उन्हें सर्वप्रथम सरल धनुरासन के अभ्यास से शुरुआत करना चाहिये जिससे हमारा शरीर लचीला और मजबूत हो जाये और शरीर में किसी प्रकार की छती या चोट पहुँचे तथा सरल धनुरासन से धनुरासन के अभ्यास तक आसानी से पहुँच सकें इस लेख में आगे हम सरल धनुरासन करने की विधि के बारे में विस्तृत रूप से उल्लेख करेंगे।

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सरल धनुरासन (Easy Bow Pose)

सरल धनुरासन करने का तरीका (How to do Easy Bow Pose )


सर्वप्रथम किसी समतल जमीन पर दरी, चटाई या योगा मैट को बिछा कर पेट के बल लेट जाएँ और टाँगों को एक साथ रखें हाथ और बाँहें शरीर के बगल में रखें।

दोनों पैरों के घुटनों को मोड़ें और एड़ियों को नितंबों के पास लाएं।

दोनों हाथों से दोनों पैरों के टखने या एड़ियों को पकड़ें।

पूरे अभ्यास के दौरान घुटनों और जाँघों को ज़मीन पर मजबूती से रखें और भुजाओं को सीधा रखें।

ठुड्डी(chin) को फर्श पर रखें।

यह हमारी सरल धनुरासन की  प्रारंभिक स्थिति है।

इसके बाद सांस भरते हुए दोनों पैरों में तनाव दें और सिर तथा छाती को फर्श से जितना संभव हो उतना ऊपर उठाते हुए पैरों को पीछे की ओर धकेलने का प्रयास करें। शरीर को ऊपर उठाने में सहायता के लिए पैरों को पीछे की ओर घुमाएं, जिससे पीठ की मांसपेशियां निष्क्रिय बनी रहें और इस आसन को करने में सरलता बनी रहे।

अंतिम स्थिति में सिर को पीछे की ओर झुकाकर रोकें।साँसों को भी इस स्थिति में रोकने का प्रयास करें।

जब तक आरामदायक हो तब तक अंतिम स्थिति में बने रहें।

इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को ढीला करते  हुए छाती और सिर को जमीन पर टिकाएं।और दोनों पैरों को सीधा कर ले ,दोनों हाथों को कमर के बगल में रख लें

जब तक श्वसन सामान्य हो जाए तब तक प्रवण स्थिति में आराम करें।

यह सरल धनुरासन का एक चक्र संपन्न हुआ।अपनी क्षमतानुसार इसके चक्र किए जा सकते है जैसे जैसे अभ्यास आगे बढ़ता जाएगा आपके शरीर में मजबूती और ताकत बड़ती जाएगी उसी तरह आप इस आसन के चक्र बढ़ा सकते है और इस आसन के अभ्यास का पूरा लाभ उठा सकते है।


पूर्ण धनुरासन (Poorna Dhanurasana)


पूर्ण धनुरासन को अंग्रेजी में full Bow Pose कहा जाता है जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह धनुरासन का एडवांस रूप है 

पूर्ण धनुरासन का अभ्यास करने के लिये हमारा शरीर लचीला और मजबूत होना चाहिये इसीलिए इस आसन तक पहुँचने के पहले हमें अभ्यास के  प्रारंभिक दिनों में पहले कुछ दिनों तक सरल धनुरासन का अभ्यास करना चाहिए इसके बाद जब थोड़ा शरीर खुल जाये और शरीर में कुछ हद तक फ्लेक्सिबिलिटी ,लचीलापन और मांसपेशियों में मजबूती जाये तब फिर धनुरासन का अभ्यास करें कुछ दोनों तक इसके बाद आपका शरीर काफी लचीला हो जाएगा और साथ साथ शरीर की क्षमता भी बढ़ जाएगी स्पाइन लचीला और मजबूत हो जाएगा जब आपका शरीर पूर्ण धनुरासन करने की स्थिति में पहुँच जाये तब इस आसन को बड़ी ही सावधानीपूर्वक अभ्यास में लायें यदि कोई योग शिक्षक के मार्गदर्शन में करें तो और भी बेहतर होगा क्योंकि यह आसन धनुरासन का एडवांस अभ्यास है जो काफी मुस्किल माना जाता है इसको करने के लिये हमें पूर्णतः शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होना पड़ेगा तभी इसका अभ्यास हम बिना किसी नुकसान के सम्पन्न कर सकते है


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पूर्ण धनुरासन (Full Bow Pose)

पूर्ण धनुरासन की विधि (Method of Poorna Dhanurasana)


इस आसन के करने का तरीका निम्न प्रकार से नीचे इस लेख में उल्लेख किया गया है:


  • पूर्ण धनुरासन का अभ्यास करने के लिये सर्वप्रथम समतल जमीन पर एक चटाई , दरी या योगा मैट बिछा कर पेट के बल लेट जाएं
  • इसके बाद दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें और अपने नितंबों के पास लायें।
  • दोनों पैरों के टखनों या एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़ें, उंगलियां पैर के शीर्ष के संपर्क में होनी चाहिए और अंगूठे को तलवे पर रखने का प्रयास करें या उंगलियों से दोनों पैरों  के बड़े अंगूठे को पकड़ें।
  • यह हमारी प्रारंभिक स्थिति है।
  • इसके बाद सांस भरते हुए सिर, छाती और जांघों को ऊपर उठाएं, पैरों को जितना संभव हो सके सिर के करीब खींचें। कोहनियाँ ऊपर की ओर  हो और दोनों हाथों को कोहनियों से सीधा रखें अंतिम स्थिति में शरीर पूरी तरह से फैला हुआ धनुष जैसा दिखाई दे इस स्थिति में सांस को रोककर रखें।
  • जब तक आपके लिए आरामदायक हो तब तक इस स्थिति में रहें। 
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को ढीला करें दोनों घुटनों को जमीन पर रखें ,चेस्ट और सिर को जमीन में रखें।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों से दोनों पैरो को छोड़ें दें तथा दोनों पैरों को सीधा कर ले जो प्रारंभिक अवस्था थी।
  • प्रवण स्थिति में विश्राम करें जब तक कि साँसों की स्थिति सामान्य हो जाये
  • यह पूर्ण धनुरासन का एक चक्र सम्पन्न हुआ।
  • अपनी क्षमतानुसार इस आसन के चक्र बढ़ाये जा सकते है जैसे जैसे अभ्यास में अभ्यस्त होते जायें।

धनुरासन के लाभ (Benefits of Dhanurasana)


धनुरासन का नियमित और सही तकनीक से अभ्यास करने से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में अनेक सारे लाभ देखने को मिलते है  जिसका उल्लेक हम आगे कर रहें है:


धनुरासन के लाभ मोटापा कम करने में (Benefits of Dhanurasana in reducing obesity)


इस आसन के नियमित अभ्यास से हमारे पेट की मांसपेशियाँ, स्पाइन, नितंब का क्षेत्र , कंधों का हिस्सा जाँघों के हिस्से में खिचाव उत्पन्न होता है ।जिससे अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद मिलती है।इसके अलावा यह हमारे मेटाबोलिज्म को ठीक करने में मदद करता है जो वजन को कम करने में सहायता करता है।

मोटापा की अधिक जानकारी पढ़े….


धनुरासन के फायदे जठरांत्रिय विकार में (Benefits of Dhanurasana in gastrointestinal disorders)


इस आसन को नियमित करने से पेट में जठरांत्रिय विकार को ठीक करने में सहायता मिलती है


धनुरासन के लाभ लिवर में (Benefits of Dhanurasana in liver)


जब हम धनुरासन का अभ्यास करते है तब हमारे पेट और चेस्ट के अंग और मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है जो उन अंगों को सक्रिय और मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होता है जिससे हमारे  शरीर की क्रियाएँ बेहतर होंगी और इससे संबंधित अंग सही से कार्य करेंगे जिससे हमारा पाचन सही तरीके से होगा साथ ही हमारे लिवर को भी स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी क्योंकि शरीर की क्रियाएँ ठीक रहेंगी तो हमारे शरीर के अंग भी स्वस्थ रहेंगे


धनुरासन के लाभ रीढ़ की हड्डी के वक्ष क्षेत्र के कूबड़ को ठीक करने में (Benefits of Dhanurasana in correcting the hump in the thoracic region of the spine)


इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी के वक्ष क्षेत्र के कूबड़ को सही करने में मदद मिलती है इस समस्या को तो यह आसन ठीक करता ही है और साथ में रीढ़ की हड्डी को मजबूत और स्वस्थ बनाने में सहयोग करता है।


धनुरासन के फायदे मधुमेह में (Benefits of Dhanurasana in diabetes)


डायबिटीज की समस्या में धनुरासन को उपयोगी माना गया है।मधुमेह की समस्या में अग्न्याशय से इन्सुलिन का निकलना कम या बंद हो जाता है, इन्सुलिन एक प्रकार का हार्मोन्स होता है जो रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है, इस हार्मोन्स के बंद होने के कारण रक्त में शुगर का स्तर अनियंत्रित हो जाता है जिससे शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और मधुमेह की समस्या उत्पन्न हो जाती है। धनुरासन के नियमित अभ्यास करने से हमारा अग्नाशय और लिवर ठीक तरीके से कार्य करने लगते है और इंजाइम स्राव करने वाले अंग सक्रिय हो जाते है जिससे अग्न्याशय में इन्सुलिन का स्राव ठीक तरीके से होता है जिससे हमें शुगर नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है इसीलिए हम कह सकते है कि धनुरासन मधुमेह को ठीक करने में सहायक माना गया है।


धनुरासन के फायदे अपच में (Benefits of Dhanurasana in dyspepsia)


इस आसन से पेट में अपच जैसी समस्याओं के निवारण में सहायता मिलती है।


धनुरासन के लाभ खून साफ करने में (Benefits of Dhanurasana in purifying the blood)


धनुरासन करने से हमारे संपूर्ण शरीर में रक्त का संचार ठीक से होता है शरीर में कोलेस्ट्रॉल ठीक रखने में सहायता मिलती है , शरीर से पसीना निकलता है जो त्वचा से टॉक्सिन निकालने में सहयोग करते है,गुर्दे ठीक से कार्य करते है जो शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर करने में मदद करते है , श्वसन तंत्र मजबूत होता है जिससे हमारे शरीर की कार्बनडाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है और शुद्ध ऑक्सीजन शरीर के अन्दर जाती है जो रक्त को शुद्ध करने में सहायक है। पाचन तंत्र ठीक से कार्य करता है और रक्त को शुद्ध करने वाले सभी अंगों को स्वस्थ रखने में मदद करता है जो हमारे शरीर के टॉक्सिन को बाहर निकालता है और खून शुद्ध और साफ करने में मदद करता है।


धनुरासन के लाभ किडनी स्वस्थ रखने में (Benefits of Dhanurasana in keeping kidneys healthy)


धनुरासन का अभ्यास करने से पेट की मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है जिससे पेट की चर्बी कम होती है और वहाँ के अंगों कि क्रियाशीलता बढ़ती है ,गुर्दे , लिवर , आँत, उत्सर्जन तंत्र  ठीक से कार्य करते है, और साथ ही मूत्र विकार को दूर करने में सहायता मिलती है जिससे गुर्दा को स्वस्थ और मजबूत बनाने में सहायक माना गया है।


धनुरासन के लाभ हृदय के लिए (Benefits of Dhanurasana for the heart)


धनुरासन के नियमित अभ्यास करने से पेटस्पाइन और चेस्ट की मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है जिससे वहाँ की मांसपेशियों का लचीलापन और मजबूती बड़ती है, चेस्ट में खिचाव होने से चेस्ट की मांसपेशियों कि ताकत और लचीलापन बढ़ता है, हृदय की मांसपेशियों में खिचाव होने से वहाँ की मांसपेशियाँ मजबूत और लचीली होती है जिससे रक्त का संचार ठीक से होता है साथ ही साथ तनाव, चिंता, और अवसाद को कम करने में उपयोगी माना गया है जो हृदय को स्वस्थ रखने में सहायता करता है इसीलिए इस आसन को हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार माना गया है।


धनुरासन के फायदे अस्थमा रोगियों के लिए (Benefits of Dhanurasana for asthma patients)


धनुरासन का सही तकनीक से अभ्यास करने से श्वास पर नियंत्रण प्राप्त होता है और सांस की क्रिया ठीक रहती है।इस आसन से लंग्स और डायफ्राम की मांसपेशियों की ताकत बढ़ जाती है जिससे हमारे श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है और ऑक्सीजन का स्तर शरीर में बेहतर रखने में मदद मिलती है इसके अलावा नाक से सही तकनीक से सांस लेने पर साँसों के संक्रमण और अस्थमा को ठीक करने में सहायता मिलती है।


धनुरासन के लाभ कमर दर्द में (Benefits of Dhanurasana in back pain)


इस आसन को करने से हमारी मेरुदंड की मांसपेशियों में खिचाव पैदा होता है जिससे यहा की मांसपेशियाँ मजबूत और लचीली होती है साथ ही साथ रक्त का संचार ठीक से होता है जो कमर के दर्द को ठीक करने में मदद करता है।


धनुरासन के फायदे थायरॉइड में (Benefits of Dhanurasana in thyroid)


धनुरासन करने से हमारे पेट, स्पाइन और गले की मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है, गले में खिचाव होने से वहाँ की मांसपेशियाँ मजबूत होती है तथा विशुद्धि चक्र सक्रिय होता है जो थायरॉइड ग्रंथि को नियंत्रित करने का कार्य करता है, इस चक्र के कार्य करने से थायरॉइड ग्रंथि ठीक से अपना कार्य करती है और साथ ही गले में खिचाव आने से गले की मांसपेशियाँ लचीली होती है और रक्त संचार ठीक से होता है थायरॉइड ग्लैंड्स का शुद्धिकरण होता है जो विषाक्त तत्व टॉक्सिन होते है वो शरीर से बाहर निकल जाते है तथा थायरॉइड ग्रंथि ठीक से कार्य करने लगती है इस लिये हम कह सकते है कि थायरॉइड की समस्या को ठीक करने में धनुरासन उपयोगी साबित हो सकता है।


धनुरासन के लाभ पाचन शक्ति बढ़ाने में (Benefits of Dhanurasana in increasing digestion power)


इस आसन को करने से हमारे पेट की मांसपेशियों में खिचाव और दबाव पैदा होता है जो हमारे मेटाबोलिज्म को ठीक करता है, पेट में रक्त संचार ठीक से होता है ,कब्ज से राहत देता है जिससे हमारी भूख खुल के लगती है और पाचन क्रिया मजबूत होती है।


धनुरासन के फायदे तनाव कम करने में (Benefits of Dhanurasana in reducing stress)


इस आसन को करने से तनाव कम होता है क्योंकि इस आसन का अभ्यास करते समय हमारा पूर्णतः एकाग्रता साँसों पर होती है जिससे हमारा मन स्थिर होता है , अनावश्यक विचार नहीं आते, अन्दर सकारात्मक विचार उत्पन्न होते है जो हमारे मन को शांत करने में सहायक होते हैइसका सकारात्मक प्रभाव हमारे तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है जिससे हमारी गृंथियाँ संतुलित बनी रहती है वो अपना कार्य ठीक से करती है जिससे हम कह सकते है की धनुरासन तनाव कम करने में उपयोगी है।

 

धनुरासन के फायदे भुजाओं में (Benefits of Dhanurasana in arms)


इस आसन को करने में हमारी दोनों भुजाओं में खिचाव पैदा होता है और रक्त संचार ठीक से होता है जिससे भुजाओं को दर्द रहित और मजबूत रखने में सहायता मिलती है।


धनुरासन के फायदे जाँघों के लिए (Benefits of Dhanurasana for thighs)


इस आसन को करने से हमारे पैर की मांसपेशियों में खिचाव और रक्त संचार ठीक से होता है जिससे इनकी ताकत और मजबूती बढ़ती है जो हमारे जाँघों को मजबूत और स्वस्थ करने में सहायक सिद्ध होता है।


धनुरासन के फायदे छाती के लिये (Benefits of Dhanurasana for chest)


इस आसन के अभ्यास से हमारी चेस्ट की मांसपेशियों में स्ट्रेच होता है यहा की मांसपेशियाँ लचीली और मजबूत होती है इससे रक्त संचार भी ठीक होता है चेस्ट के सभी अंगों में रक्त का संचार होता है इस आसन का छाती में प्रभाव होने के कारण  फेफड़े और श्वास नलिकाओं में सुधार होता है जो साँसों से संबंधित अनेक बीमारियों से दूर रखने में सहायक है।


धनुरासन का लाभ त्वचा में (Benefits of Dhanurasana for skin)


इस आसन को करने से हमारे संपूर्ण शरीर में रक्त संचार ठीक से होता है ,शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते है, पाचन शक्ति ठीक रहती है , मेटाबोलिज्म सही रहता है जिससे जो संतुलित आहार लेते है उसका सही से पाचन होता है और शरीर को जो पोषक तत्व आवश्यक है वो प्राप्त हो जाते है और इसके साथ ही  अभ्यासी तनाव मुक्त रहता है जिससे त्वचा में चमक बढ़ती है और व्यक्ति की त्वचा स्वस्थ और सुंदर दिखती है।


धनुरासन के फायदे सुषुम्ना नाड़ी में (Benefits of Dhanurasana in Sushumna nadi)


धनुरासन के नियमित अभ्यास करने से सुषुम्ना नाड़ी में ऊर्जा का प्रवाह करने में सहायता मिलती है जो आगे आध्यात्मिक क्षेत्र में बड़ने में सहायक है


धनुरासन के फायदे कुंडलिनी जागृत में (Benefits of Dhanurasana in Kundalini jagarana)


इस आसन का सही तकनीक से अभ्यास करने से हमें कुंडलिनी जागृत करने में सहायता मिलती है जिससे हमें शारीरिक ,मानसिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है।


धनुरासन के लाभ मासिक धर्म में (Benefits of Dhanurasana during menstruation)


इस आसन को नियमित रूप से करने से पेट और पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों में दबाव पैदा होता है जिससे उन मांसपेशियों की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है और रक्त का संचार ठीक से होता है महिलायें जब इस आसन को करती है तो उनके पेट ,पेल्विक और अंडाशय की मांसपेशियों की क्रियाशीलता बढ़ती है वहाँ ठीक से रक्त प्रसार होता है जो भी ओवरी की नसों की ब्लॉकेज होती है उसको ठीक करने में मदद मिलती है जिससे मासिक धर्म में ब्लड फ्लो (blood flow) ठीक से होता है और इस दौरान होने वाले दर्द में राहत मिलती है। इस आसन से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य में भी प्रभाव पड़ता है जो महिलाओं को मासिक धर्म के समय स्वस्थ रहने में मदद करता है।


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धनुरासन का लाभ आहार नली में (Benefits of Dhanurasana in the alimentary canal)


इस आसन के अभ्यास से संपूर्ण आहार नाल मजबूत और दुरुस्त होती है।


धनुरासन के लाभ कब्ज में (Benefits of Dhanurasana in constipation)


इस आसन से हमारी पेट की मांसपेशियाँ और वहाँ उपस्थित अंगों में खिचाव पैदा होता है इन अंगों में रक्त संचरण ठीक से होता है जिससे पाचन शक्ति ठीक होती है ,उपापचय क्रिया मजबूत होती है इन अंगों की कार्यक्षमता बड़ती है, इस आसन से बड़ी आँत की मालिश होती है जिससे आँतों की क्रियाशीलता बड़ती है इस कारण मल हमारे बड़ी आँत में चिपक नहीं पाता, इससे मोशन बनने में सहायता मिलती है और मल को बाहर करने में  मदद मिलती है इससे पेट साफ होता है और कब्ज को ठीक करने में सहायता मिलती है।


धनुरासन का लाभ श्वास विकार के लिये (Benefits of Dhanurasana for breathing disorders)


इस आसन को करते समय हमारी चेस्ट की मांसपेशियों में खिचाव पैदा होता है जो हमारे चेस्ट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और वहाँ ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होता है जिससे वहाँ की मांसपेशियों और जो चेस्ट में अंग है उनमे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है उन अंगों की कार्य क्षमता बड़ती है इस आसन से फेफड़े ,डायफ्राम श्वास नलिकायों में प्रभाव पड़ता है जो हमें अनेक प्रकार की श्वास से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए या उन समस्याओं से बचने के लिए मदद करता है।इस आसन का अभ्यास जब हम साँसों के साथ करते है तो और अधिक लाभ मिलता है और हमारा श्वसन तंत्र  और रक्त संचरण तंत्र मजबूत हो जाता है, हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती हैजो हमें स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होती है।


धनुरासन के लाभ पैनक्रियाज और एड्रीनल ग्लैंड्स में (Benefits of Dhanurasana in pancreas and adrenal glands)


इस आसन के नियमित अभ्यास से पैनक्रियाज और एड्रीनल ग्लैंड्स टोन होती हैं, जिससे उनका स्राव संतुलित होता है।


धनुरासन के लाभ प्रजनन अंगों के संतुलन में (Benefits of Dhanurasana in balancing the reproductive organs)


धनुरासन प्रजनन अंगों के संतुलन में मदद करता है, यह आसन पेल्विक एरिया (प्रजनन अंगों) की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है और रक्त संचार प्रजनन अंगों में ठीक से करता है जिससे प्रजनन प्रक्रिया में सुधार होता है।इस आसन के प्रैक्टिस से मासिक धर्म के समय  होने वाले दर्दों में सुधार होता है।मासिक धर्म समय से होता है। इस आसन से हमारे प्रजनन अंगों की कार्य क्षमता बढ़ती है ,इस आसन के द्वारा स्वाधिष्ठान चक्र पर प्रभाव पड़ता है जो सेक्स ऑर्गन्स को नियंत्रित करता है इस चक्र को मजबूत किया जा सकता है इस आसन के माध्यम से प्रजनन अंग ठीक से कार्य करेंगे और अनेक प्रकार के प्रजनन रोगों(reproductive disease) की समस्याओं को ठीक करने में मददगार साबित होता है।


धनुरासन के फायदे स्तन विकास के लिए (Benefits of Dhanurasana for breast development)


धनुरासन के अभ्यास से महिलाओं में ब्रेस्ट क्षेत्र की मांसपेशियों में खिचाव पैदा होता है जिससे ब्लड का फ्लो ब्रेस्ट क्षेत्र की ओर आता है और वहाँ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है जो ब्रेस्ट का एरिया मजबूत ओर सुडौल होता है और ब्रेस्ट के अंगों का विकास करने में मदद करता है जो स्तन के विकास में मददगार साबित हो सकता है।


धनुरासन का लाभ पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में (Benefits of Dhanurasana in strengthening the abdominal muscles)


इस आसन को करने से हमारे पेट के क्षेत्र में खिचाव पैदा होता है जो हमारी पेट की मांसपेशियों में रक्त का संचार ठीक से करने में सहायता करती है और साथ ही यहाँ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


धनुरासन के लाभ चिंता और अवसाद में (Benefits of Dhanurasana in anxiety and depression)


इस आसन को करने से ग्रंथियों, मस्तिष्क की मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र में प्रभाव पड़ता है साथ साथ यह  मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव डालता है अनावश्यक विचार कम होते है, मन में शांति पैदा होती है शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है जो चिंता और तनाव को कम करके अवसाद को दूर करने में सहायता करता है।


अग्न्याशय में धनुरासन के फायदे (Benefits of Dhanurasana in pancreas)


धनुरासन का अभ्यास करने से हमारे पेट और चेस्ट की मांसपेशियों में दबाव और खिचाव उत्पन्न होता है जिससे वहाँ उपस्थित अंगों में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि अग्न्याशय हमारे पेट में उपस्थित होता है यह अंग पेट के पीछे और छोटी आँत के पास एक लम्बी ग्रंथि के रूप में उपस्थित है इसके हमारे शरीर में मुख्यतः दो प्रकार के कार्य माने गये है पहला बहिःस्रावी कार्य ( exocrine function) जो पाचन क्रिया में सहायता करता है और दूसरा अंत: स्रावी कार्य(endocrine function) जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है इस आसन को नियमित रूप से करने से हमारे  अग्न्याशय की कार्य क्षमता बढ़ती है और इस अंग को स्वस्थ रखने में सहायता मिलती है।


छोटी और बड़ी आँत में धनुरासन के लाभ (Benefits of Dhanurasana in small and large intestine)


इस आसन को करने से मुख्यतः हमारे पेट और चेस्ट में दबाव पैदा होता है क्योंकि छोटी और बड़ी आँत हमारे पेट में स्थित है जिससे उनमें खिचाव और दबाव उत्पन्न होता है उनकी सक्रियता, मजबूती और कार्य क्षमता बढ़ती है जिससे हमारे शरीर को पोषण ठीक से मिलता है और जो विषाक्त तत्व, टॉक्सिन और मल वह शरीर से बाहर निकल जाता है इस आसन के द्वारा  छोटी और बड़ी आँत को स्वस्थ रखने के साथ साथ अपने शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायता मिलती है।


शरीर में लचीला पन बढ़ाये धनुरासन (Dhanurasana increases flexibility in the body)


इस आसन को करने से हमारे पेट, छाती , हाथ, पैर, कंधों, मेरुदण्ड, जाँघ, गर्दन इन सभी अंगों में स्ट्रेच पैदा होता है जिससे रक्त का संचार ठीक से होता है और इन अंगों में लचीलापन बढ़ता है तथा शरीर को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।


धनुरासन के लाभ यौन समस्याओं में (Benefits of Dhanurasana in sexual problems)


इस आसन को करने से हमारे प्रजनन तंत्र की मांसपेशियाँ मजबूत होती है और उनमें रक्त संचार ठीक से होता है साथ हि उनकी कार्यशीलता बढ़ती है जो यौन की समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है।


धनुरासन के फायदे सर्वाइकल में (Benefits of Dhanurasana in cervical)


इस आसन को करने से गर्दन की मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है ,इससे हमारे सर्वाइकल की मांसपेशियों में रक्त संचार ठीक से होता है और उनकी क्रियाशीलता बढ़ती है जो सर्वाइकल में तनाव और थकान कम करने में मदद करता है , साथ ही हमारे मस्तिष्क में तनाव कम करता है तथा गर्दन की आकृति (posture) को ठीक करने में सहायता मिलती है जिससे सर्वाइकल के दर्द और दोष दूर करने  में सहायता मिलती है।


धनुरासन के फायदे साइटिका में(Benefits of Dhanurasana in sciatica)


इस आसन के अभ्यास से हमारी स्पाइन और पैर की मांसपेशियों में खिचाव पैदा होता है इससे रक्त संचार ठीक से होता है जो स्पाइन और पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है साथ ही यह पॉस्चर को ठीक करने में सहायता करता है यह आसन हमारे लम्बर क्षेत्र को स्वस्थ और मजबूत बनाता है जिससे साइटिका के दर्द में राहत मिल सकती है किंतु इसको तभी कर सकते है जब साइटिका का अधिक दर्द  हो इस आसन को इस परिस्थिति में सावधानीपूर्वक करें


धनुरासन के फायदे उच्च रक्त चाप में (Benefits of Dhanurasana in high blood pressure)


धनुरासन उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसको साँसों के साथ किया जाता है जिससे प्राणायाम भी हो जाता है जिसमें श्वास में नियंत्रित प्राप्त होता है और तनाव कम करने में मदद मिलती है। इस आसन से शरीर का उतार चढ़ाव की क्रियाएँ होती हैं, जिससे रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। यह आसन तनाव को कम करने में मदद करता हैं, जिससे उच्च रक्तचाप कम हो सकता है। धनुरासन के प्रैक्टिस से सामान्य शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है, जिससे रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।इससे हमारे हृदय की मांसपेशियाँ मजबूत होती है।साथ ही साथ हमारे रक्त में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है और नसों कि ब्लॉकेज ठीक होती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होता है हृदय पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता, इससे मानसिक थकान भी दूर हो जाती है जो उच्च रक्त चाप को ठीक करने में मददगार साबित होता है।


धनुरासन के लाभ नपुंसकता दूर करने में (Benefits of Dhanurasana in removing impotence)


धनुरासन से नपुंसकता को दूर करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इस आसन के अभ्यास से हमारी पेल्विस क्षेत्र की पेशियों में खिचाव पैदा होता है यहाँ के नसों के ब्लॉकेज ठीक करता है।जो इस क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करती है और शरीर का लचीलापन बढ़ाने में सहायता करता है। इस आसन को करने के दौरान जब सांस भरके रोकते है उस समय हमारा अपने आप मूलबंध लग जाता है और स्वाधिष्ठान चक्र और मूलाधार चक्र पर प्रभाव पड़ता है जिससे   पेल्विस क्षेत्र की मांसपेशियाँ मजबूत होती है जो सेक्स ऑर्गन्स को क्रियाशील और मजबूत बनाने में सहायता करता है इस लिये इस आसन को नियमित रूप से  करने से यौन स्वास्थ्य में सुधार अवश्य हो सकता है और नपुंसकता की समस्याओं को कम किया जा सकता है।

 

धनुरासन के लाभ किडनी संक्रमण में (Benefits of Dhanurasana in kidney infection)


यह आसन हमारे यूरिनरी ट्रैक को क्लियर या साफ करता है जिससे किडनी के संक्रमण से बचाव करने में मदद मिलती है। 


धनुरासन के आध्यात्मिक लाभ (Spiritual Benefits of Dhanurasana in hindi)


इस आसन को जब हम नियमित रूप से करते है तब इस आसन से शारीरिक लाभ के साथ साथ कुछ आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते है यह  हमारे शरीर में उपस्थित ऊर्जा रूप में सात चक्रों को सक्रिय करने में सहयोग करता है ,चक्रों के सक्रिय होने से हम कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर सकते है जो हमें अनेक प्रकार से शारीरिक , मानसिक और भावनात्मक क्षेत्र में लाभ प्राप्त करने में मददगार साबित हो सकता है।चक्रों के सक्रिय होने से आध्यात्मिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव देखने को मिलता है क्योंकि हमारे शरीर के संपूर्ण अंग चक्रों के नियंत्रण में रहते है प्रत्येक चक्र अपने आस पास के कुछ अंगों को नियंत्रित करता है जब हमारे चक्र ठीक से कार्य नहीं करते और वह शरीर के उन अंगों को ऊर्जा नहीं पहुँचाते जो उसके नियंत्रण में है तो वो अंग ठीक से कार्य नहीं करते और धीरे धीरे उस अंग के जो कार्य है वो शरीर में बाधित होने लगते है और कुछ समय बाद शरीर अस्वस्थ हो जाता है और जो अंग ठीक से कार्य नहीं करता उस अंग से संबंधित बीमारी उत्पन्न हो जाती है और यदि हमारे चक्र सक्रिय है तो हमारे अंग ठीक से कार्य करेंगे हम स्वस्थ और निरोग बने रहेंगे इसीलिए हम कह सकते है की चक्रों का हमारे शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका है।


धनुरासन के नुकसान (Disadvantages of Dhanurasana)


इस आसन के बहुत सारे फायदे है तो कुछ परिस्थिति में इसके अभ्यास से नुकसान भी हो सकते है इसीलिए हमने इस लेख में बताने का प्रयास किया है कि धनुरासन का अभ्यास किसको करना उचित है और कौन सी परिस्थिति में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए नहीं तो लाभ के स्थान पर नुकसान हो सकता है। हमने आगे यह बताया है कि धनुरासन किसको नहीं करना चाहिए 


  • जो लोग कमजोर हृदय वाले व्यक्ति है वह धनुरासन का अभ्यास करें।
  • उच्च रक्तचाप वाले मनुष्य धनुरासन का अभ्यास करें।
  • धनुरासन का अभ्यास हर्निया से ग्रसित मनुष्य को नहीं करना चाहिए।
  • कोलाइटिस की समस्या से परेशान व्यक्ति धनुरासन का अभ्यास करें।
  • पेप्टिक या ग्रहणी संबंधी अल्सर से पीड़ित मनुष्य को धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिये।
  •   धनुरासन का अभ्यास रात को सोने से पहले नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अधिवृक्क ग्रंथियों और सहानुभूति तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है।
  • गर्भवती महिला को धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिये।
  • माइग्रेन( सिर के अर्ध भाग में दर्द) के दर्द में धनुरासन के अभ्यास से परहेज करें तो बेहतर होगा।
  • गर्दन में चोट लगी है तो उस स्थिति में धनुरासन का अभ्यास करें
  • हाल ही में यदि पेट का ऑपरेशन हुआ है तो उस स्थिति में धनुरासन का अभ्यास करें।


धनुरासन के पीछे का विज्ञान (Science Behind The Dhanurasana)


धनुरासन एक योगासन हैइसका पीछे का विज्ञान योग शारीरिक और मानसिक क्षमता पर आधारित है। इस आसन को करने से कई शारीरिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते है।प्राचीन शास्त्र और आधुनिक विज्ञान ने भी इस बात की पुष्टि की है यह आसन मनुष्य के स्वास्थ्य में अद्भुत प्रभाव डालता है और इसका शारीरिक और मानसिक लाभ के साथ साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है जो मानव स्वास्थ्य के लिये उपयोगी है।इस आसन का अभ्यास करने से अनुभव होता है की यह मुख्य रूप से हमारे मेरुदंड में खिंचाव और दबाव पैदा करता है जिससे स्पाइन की मांसपेशियों में रक्त का संचार ठीक से होता है इससे स्पाइन की  मज़बूती बढ़ती है क्योंकि ये ग्रंथ येसा मानते है कि स्पाइन ही शरीर का सबसे जटिल और महत्वपूर्ण भाग है।अधिकतम आसनों में मेरुदंड को महत्व देते हुए इसको मजबूत बनाने के लिए अनेक प्रकार के आसनों को बताया गया है ।इस लेख में हमने धनुरासन को इस संदर्भ में वर्णित किया है।धनुरासन के अभ्यास से मुख्य रूप से हमारे मेरुदंड में ही खिंचाव और दबाव पैदा होता है जिससे यहाँ की मासपेशीयां लचीला, मजबूत और शक्तिशाली बनाती है, जिससे सिरदर्द और पीठ दर्द को कम करने में मदद मिलती है।इस आसन से पेट के क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है, जिससे पाचन में सुधार होता है। यह आसन लंग्धि प्रणाली(lung system)को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह आसन शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधार करता है मन को शांत करता है तनाव को कम करता है जिससे हमें अनेक प्रकार कि मानसिक समस्याओं को ठीक करने में सहायता मिलती है।इस आसन का आध्यात्मिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योग दान माने गये है क्योंकि इसका  स्पाइन में प्रभाव पड़ता है और मेरुदंड में ही सात चक्र ऊर्जा रूप में  उपस्थित होते है जो शारीरिक  और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करते है इस आसन से मुख्यतः विशुद्ध, अनाहत और मणिपुर चक्र में प्रभाव पड़ता है साथ ही साथ यह सुषुम्ना में ऊर्जा का प्रवाह करने में मददगार साबित हो सकता है जिससे कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में सहायता मिल सकती है इसीलिए योग विज्ञान में और आधुनिक विज्ञान में धनुरासन का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है जो इस लेख में आपने अध्यन किया।


धनुरासन की सावधानियाँ (Precautions for Dhanurasana)


हमने धनुरासन को करने से अनेक प्रकार के लाभ के विषय में जानकारी प्राप्त की है किन्तु कुछ इसकी सावधानियाँ भी बरतनी जरुरी है नहीं तो लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है ये कौन सी सावधानियाँ है नीचे इस लेख में विस्तृत रूप से  बताया गया है

  • धनुरासन का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए कम से कम खाने के बाद चार से पाच घंटे का अंतराल होना आवश्यक माना गया है नहीं तो पेट में दर्द हो सकता है, गैस की समस्या हो सकती है , अभ्यास करने में मुस्किल हो सकता है ,उल्टी हो सकती है और सिर में भारीपन महसूस हो सकता है।
  • प्रारंभिक दिनों में धनुरासन का अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ की देख रेख में करना चाहिए जिससे हमें सही तकनीक की जानकारी मिले और हम उसका पूरा लाभ उठा सकें।
  • सर्वप्रथम हमें सरल धनुरासन से अभ्यास प्रारम्भ करना चाहिये।

  • हृदय रोग से पीड़ित मनुष्य को धनुरासन के अभ्यास से बचना चाहिए क्योंकि येसा  करने से अभ्यास के दौरान हृदय पर तनाव पड़ने से रोगी को परेशानी हो सकती है या किसी योग चिकित्सक की देख रेख में सरल धनुरासन का अभ्यास अपनी क्षमतानुसार प्रारम्भ करें।

  • जो मनुष्य हर्निया रोग से पीड़ित है उसको धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिये क्योंकि  इस आसन में पेट पर सबसे ज्यादा खिचाव उत्पन्न होता है जिससे लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।

  • रात में सोने से पहले धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आसन अधिवृक्क ग्रंथि और तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने का कार्य करता है।

  • अल्सर से पीड़ित व्यक्ति को धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि अभ्यास के दौरान पेट में दबाव, दर्द और पेट की मांसपेशियों में छती हो सकती है जिससे समस्या और अधिक बड सकती है।

  • गर्दन में किसी प्रकार का चोट या अधिक दर्द हो तो इस आसन का अभ्यास करें या किसी योग विशेषज्ञ की देख रेख में इसका अभ्यास सावधानीपूर्वक करें तो बेहतर होगा।

  • गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के समय यह आसन पूर्णतः वर्जित माना गया है इसके अभ्यास से गर्भस्थशिशु को छती पहुँच सकती है।

  • कोलाइटिस की समस्या से प्रभावित रोगी को धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिये क्योंकि इससे पेट में दर्द ,आँतों में सूजन, ऐंठन और डायरिया जैसी समस्या बड़ सकती है।

  • पेट से संबंधित कोई भी बीमारी है तो पहले डॉक्टर से परामर्श लें यदि सब ठीक है तो किसी योग चिकित्सक की देख रेख में ही अभ्यास को प्रारंभ करें तो बेहतर होगा।

  • साइटिका से ग्रसित व्यक्ति को सरल धनुरासन का अभ्यास बड़ी सावधानी पूर्वक और सही तकनीक से करना चाहिए किसी सुयोग्य योग चिकित्सक की देख रेख में तो बेहतर है नहीं तो लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।

  • स्लिप डिस्क की समस्या से प्रभावित व्यक्ति को यदि संभव हो तो सरल धनुरासन का अभ्यास करना चाहिए किसी सुयोग्य योग चिकित्सक की देख रेख में अभ्यास सही तकनीक से।

  • उच्च रक्त चाप से पीड़ित मनुष्य को धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए या फिर किसी सुयोग्य योग चिकित्सक की निगरानी में सरल धनुसन का अभ्यास करें जो आपके लिये उचित हो और आपकी समस्या को ठीक करने में लाभ पहुँचाए।

  • निम्न रक्त चाप से पीड़ित व्यक्ति को बड़ी सावधानीपूर्वक सरल धनुरासन का अभ्यास करना चाहिये किसी योग चिकित्सक की देख रेख में।

  • अस्थमा से पीड़ित मनुष्य को धनुरासन का अभ्यास सावाधानीपूर्वक सही तकनीक से किसी योग चिकित्सक की देख रेख में करना चाहिए।

  • पेट किसी प्रकार का ऑपरेशन हुआ है तो धनुरासन का अभ्यास करें कुछ समय पश्चात डॉक्टर से परामर्श करें और सारी रिपोर्ट ठीक है तो किसी योग चिकित्सक की देख रेख में अभ्यास को प्रारंभ करें तो उचित होगा अन्यथा हानि हो सकती है।

  • यदि घुटनों में बहुत अधिक दर्द है तो धनुरासन का अभ्यास करें और जब प्रारंभ करें तब किसी योग चिकित्सक की देख रेख में करें।

  • किडनी से संबंधित समस्या में पहले डॉक्टर से परामर्श ले इसके बाद किसी योग चिकित्सक की देख रेख में अभ्यास प्रारंभ करें तो बेहतर लाभ प्राप्त होगा।

  • यदि किसी व्यक्ति को प्रजनन तंत्र से संबंधित समस्या है तो वह योग चिकित्सक के सानिध्य में अभ्यास प्रारंभ करें जिससे उन्हें सही तकनीक का पता चल सके और अभ्यास का  पूरा लाभ प्राप्त हो सके।

  • पीसीओडी की समस्या से परेशान महिलाओं को इस आसन का अभ्यास सही तकनीक से करना चाहिये
  • यदि किसी व्यक्ति को कंधों और पैरों में चोट लगी है तो इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए या किसी योग विशेषज्ञ की निगरानी में अपने शरीर की क्षमतानुसार  सरल धनुरासान से प्रारम्भ करें।


निष्कर्ष (Conclusion)


धनुरासन को योगासनों में पूर्ण आसन माना गया है।इसके अभ्यास से संपूर्ण आहार नाल दुरुस्त होती है। लीवर, पेट के अंगों और मांसपेशियों की मालिश होती है। अग्न्याशय और अधिवृक्क ग्रंथियां टोन होती हैं, जिससे उनका स्राव संतुलित होता है। गुर्दे की मालिश होती है और पेट क्षेत्र के आसपास अतिरिक्त वजन और चर्बी कम होती है। इससे पाचन, मलत्याग और प्रजनन अंगों की कार्यप्रणाली में सुधार होता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार, अपच, पुरानी कब्ज और यकृत की सुस्ती को दूर करने में मदद मिलती है।

योग चिकित्सा में मधुमेह, असंयम, कोलाइटिस, मासिक धर्म संबंधी विकार और विशेष मार्गदर्शन में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के प्रबंधन के लिए उपयोगी माना गया  है। यह आम तौर पर रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। रीढ़ की हड्डी को फिर से व्यवस्थित करने में सहायता करता है जिससे स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं में लाभदायक माना गया  है और इसके करने से स्नायुबंधन, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को अच्छा खिंचाव उत्पन्न होता है, जिससे इन अंगों की कठोरता दूर होती है और मजबूती बड़ती  है। यह रीढ़ की हड्डी के वक्ष क्षेत्र के कूबड़ को सही करने में मदद करता है।

धनुरासन अस्थमा सहित छाती की विभिन्न बीमारियों से राहत देने और ग्रीवा और वक्ष सहानुभूति तंत्रिकाओं में तंत्रिका ऊर्जा को मुक्त करने, आम तौर पर श्वसन में सुधार करने के लिए उपयोगी है।यह आसन हमारे शारीरिक स्वस्थ के साथ साथ मानसिक और आध्यात्मिक स्वस्थ में भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है इसको सही तकनीक से करने के लिए किसी सुयोग्य योग चिकित्सक के देख रेख में अभ्यास करें तो बेहतर होगा और साथ साथ यदि कोई बीमारी या समस्या है तो हमें केवल एक आसन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए इसके साथ कुछ और भी महत्वपूर्ण आसन है जिनका अभ्यास में सामिल करें , प्राणायाम, मुद्रा, बांध, ध्यान का अभ्यास भी आवश्यक माना गया है, साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन करते रहे इसके अलावा आपको संतुलित आहार रखना पड़ेगा जो आपके शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करे और आपका प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत हो जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता आये और आप जल्दी स्वस्थ हो सकें और यदि स्वस्थ है तो हमेशा निरोग बनें रहने में मदद मिले।इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इस लेख में धनुरासन की संपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया गया था कि आपको धनुरासन कैसे करना चाहिए ,इसके लाभ क्या है,इस आसन को करते समय क्या क्या सावधानियाँ रखनी आवश्यक है ,और कौन सी येसी अवस्था है जिसमें धनुरासन का अभ्यास नहीं करना चाहिये, साथ ही साथ सरल धनुरासन कब करना चाहिए, धनुरासन करने के पहले कौन कौन से आसन करें और धनुरासन के बाद कौन कौन से आसन करें जिससे हमें कोई नुकसान पहुँचे और हम पूरा लाभ उठा सकें साथ ही इस लेख में पूर्ण धनुरासन का भी उल्लेख किया गया है इस आसन के करने की विधि का  वर्णन किया गया था जिससे आप लोग एडवांस अभ्यास की और भी जा सकें और उसके विषय में सम्पूर्ण जानकारी आपको प्राप्त हो सके।


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