उष्ट्रासन , विधि,लाभ और सावधानियाँ Ushtrasana , Vidhi, Labh aur Savdhaniyan

Written by Dr.Virendra Singh
Edited by  Pratibha Thakur   


भारतीय इतिहास में योग प्राचीनतम पद्धति है जिसका इतिहास साक्षी है।यह शारीरिक ,मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिये मानव जीवन के लिये बहुत ही उपयोगी माना गया है जिसका प्राचीन काल से उल्लेख मिलता है और जिसके हमारे स्वस्थ में प्रमाण भी मिलें है,यह एक येसी पद्धति है जिसमें शरीर तो स्वस्थ होता ही है साथ ही साथ मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में भी प्रभाव पड़ता है और कोई एसी पद्धति मिलना दुर्लभ है।वैसे तो योग एक बहुत ही वृहद है लेकिन हम यहाँ केवल आसन के बारे में बता रहें है जो योग का एक अंग है, आसन भी अनेक प्रकार के बताये गये है लेकिन इस लेख में हम उष्ट्रासन, उष्ट्रासन की विधि, लाभ और सावधानियों पर विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करेंगे।यह आसन हमारे शरीर के अनेक अंगों में प्रभाव डालता है यह हमारे रीढ़ की हड्डी का विस्तार करता है, कूल्हे का विस्तार और आंतरिक घुमाव करने में मदद करता है, घुटने का विस्तार साथ साथ लचीला पन बनाता है, स्कैपुला में प्रभाव पड़ता है।इसमें हाथ का बाहरी घुमाव और विस्तार होता है, कोहनी का विस्तार होता है, जिससे हमारे सभी जॉइंट्स मजबूत होते है।यह आसन पाचन और प्रजनन प्रणाली के लिए फायदेमंद माना गया है। इसके अभ्यास से पेट और आंतों को खिचाव देने में मदद मिलती है, जिससे पेट और आतों में फैलाव होता है, जो कब्ज से राहत देता है। पीछे की ओर झुकने से कशेरुकाएं ढीली और लचीली होती हैं और रीढ़ की नसों को उत्तेजित करता है पूरे स्पाइन में रक्त का संचार ठीक से होता है, पीठ दर्द, लूम्बेगो, गोल पीठ और झुके हुए कंधों से राहत मिलती है।इससे फेफड़े और  डायाफ्राम का विकास होता है, मेटाबोलिज्म बेहतर होता है, पाचन शक्ति बढ़ती है, गर्दन के सामने वाले भाग में फैलाव और खिचाव होने से इस भाग को टोन करता है और थायरॉयड ग्रंथि को नियंत्रित करता है।इस आसन को नियमित रूप से अभ्यास करने से आपके शरीर और मस्तिष्क को अनेक तरह से लाभ हो सकते हैं, और यह योग का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। योग आसनों का अभ्यास सही तरीके से करने के लिए ध्यानपूर्वक और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी तकनीकी का पालन करें, आसनों का सही तरीके से अभ्यास करने के लिये किसी सुयोग्य योग चिकित्सक की देख रेख में करें जिससे आपको सही तकनीक का पता चल सके और आप पूरा लाभ उठा सकें, यदि आपमें कोई विशेष स्वास्थ्य संबंधी समस्या महसूस हो रही है तो अभ्यास के पूर्व डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

विषय सूची


  • उष्ट्रासन क्या है?(What is Ustrasana)
  • उष्ट्रासन की विधि(Method of Ustrasana)उष्ट्रासन या कैमल पॉज कैसे करें वीडियो(how to do Ushtrasana or camal pose video)
  • उष्ट्रासन में श्वसन(breathing in Ustrasana)
  • उष्ट्रासन के लाभ(Benefits of Ustrasana)
  • उष्ट्रासन के वैज्ञानिक प्रभाव(Scientific effects of Ustrasana)
  • स्थिरता(Stability)
  • विस्तार(Extension)
  • खिंचाव(Stretching)
  • जागरूकता(Awareness )
  • श्वास-नियंत्रण(Breath Control)
  • प्रणाली(Systems)
  • उष्ट्रासन करने के पूर्व की सावधानियाँ(Precautions before doing Ustrasana)

उष्ट्रासन क्या है?(What is Ustrasana)

 उष्ट्रासन का हमारे जीवन में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ में अत्यधिक योगदान माना गया है ।यह  दो शब्द से मिलकर बना है उष्ट्र +आसन।ऊष्ट्र का तात्पर्य ऊंट और आसन का तात्पर्य है स्थिति या मुद्रा ।जब हम इस आसन की पूर्णता तक जाते है तो इसकी मुद्रा ऊंट की तरह दिखाई देती है ,इसीलिये इसे उष्ट्रासन ( Camel pose )के नाम से जाना जाता है।


उष्ट्रासन की विधि(Method of Ustrasana)


उष्ट्रासन , विधि,लाभ और सावधानियाँ
       प्रथम चित्र (आसन की पूर्ण स्थिति)

  1. सबसे पहले हमे वज्रासन में बैठना है,वज्रासन की मुद्रा के लिये आप अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ना है की दाहने पैर का पंजा और एड़ी दाहिने नितम्ब के नीचे और बायें पैर का पंजा और एड़ी बायें नितंब के नीचे होंआपकी कमर अर्थात् मेरुदंड एक शीध में हो दोनों हाथों को अपने दोनों घुटनों के ऊपर रख लें ।
  2. इसके  बाद आपको अपने घुटनों पर खड़े होना है,दोनों पंजों को ज़मीन पर सटा कर रखना है,अपने दोनों   घुटनों और दोनों पंजों की आपस में दूरी समान रहना चाहिये,इन दोनों के बीच की चौड़ाई अपने कंधे की   चौड़ाई के बराबर रख लें लेकिन अगर आपको आरामदायक नहीं लगता तो थोड़ी दूर रख सकते हैं। 
  3. अपने दोनों हाथों को कमर पर इस प्रकार रखें की आपकी दोनों हाथों की उँगलिया सामने की तरफ तथा दोनों अंगूठा मेरुदंड को स्पर्श करें ,
  4. श्वास भरते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें,अपने दाहिने हाथ से दाहिनी एड़ी या पंजे को और फिर अपने   बाएं हाथ से बाएं एड़ी या पंजे को पकड़ें इसको धीरेधीरे करें जिससे आपके मेरुदंड और कंधों में ज्यादा    तनाव उत्पन्न  हो 
  5.  इसके बाद आपको धीरे धीरे अपने पेट को आगे की ओर धकेलना हैजिससे आपकी छाती और पेट ठीक से खिंचाव महसूस करें लेकिन आपके कमर के निचले भाग में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होगा,आपको   अपने सिर और कमर को भी खिचना हैजितना संभव हो सके।
  6. हमें अपनी पीठ को पीछे की ओर मोड़ना हैजितना संभव हो सके हमे अपने पूरे शरीर को आराम से  खींचकर पीछे की ओर झुकाने की कोशिश करना हैमुख्यतःअपनी पीठ की मांसपेशियों को खिंचाव दे  जिससे उन मांसपेशियों को आराम मिले।
  7. जब आप इस आसन में होंतो आपके पैरों और हाथों के बीच का वजन समान रूप से संतुलित होना चाहिए।आपके हाथ भी आपकी कंधों को सहारा देने में मदद करेंगे ताकि आपकी पीठ में कमर की मुद्रा बनी रह   सके।
  8.  इस स्थिति में आप उस समय तक रह सकते है जब तक आपको आरामदायक लगे 
  9. आसन से वापस आने के लिएधीरे धीरे श्वास छोड़ते हुए अपने हाथों को एड़ियों से छोड़ेंएक बार में एक ही हाथ से फिर कमर को सहारा देते हुए दोनों हाथों से वज्रासन में बैठ कर विश्राम करें 
  10. यह उष्ट्रासन का एक चक्र हुआ।इस प्रकार से आप इसे अपनी क्षमतानुसार दो या तीन बार कर सकते है।

उष्ट्रासन या कैमल पॉज कैसे करें वीडियो(how to do Ushtrasana or camal pose video)

उष्ट्रासन(Camel Pose)

एडवांस उष्ट्रासन कैसे करें(how to do advance Ushtrasana )


उष्ट्रासन का कुछ समय तक निरन्तर अभ्यास करते करते शरीर में लचीला पन आ जाता है जिससे आपको इस आसन को एडवांस तरीके से करने में मदद मिलती है जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है ।


उष्ट्रासन , विधि,लाभ और सावधानियाँ

द्वितीय चित्र( अर्ध स्थिति)

यह आसन की पूर्ण स्थिती मानी गई है लेकिन इसका अभ्यास हम तभी करेंगे जब बाकी जो प्रारंभिक दो स्थितियाँ है वो ठीक से होने लगे ।


उष्ट्रासन , विधि,लाभ और सावधानियाँ

                तृतीय चित्र ( पूर्ण स्थिति )

एडवांस उष्ट्रासन कैसे करें वीडियो(how to do advance Ushtrasana Video)

उष्ट्रासन में श्वसन(breathing in Ustrasana)

उष्ट्रासन के दौरान आप श्वास भरके रोक सकते है या आसन के अंत में सामान्य रूप से सांस लें। आपको गहरी सांस लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपकी छाती और पेट पहले से ही खिंचे हुए है।



उष्ट्रासन के लाभ(Benefits of Ustrasana)


यह आसन वास्तविक रूप से हमारे मन और शरीर पर कई प्रकार से लाभ प्रदान करता है:

  • ऊष्ट्रासन करने से पाचन सम्बन्धी समस्यायें दूर होती है यह हमारे पेट के लिए बहुत ही उपयोगी आसन माना गया है हमारे पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है 
  • यह पाण्डुरोग(रक्ताल्पताको ठीक करने में सहायक माना जाता है।
  • ऊष्ट्रासन प्रजनन प्रणाली के लिए भी फायदेमंद माना गया है।
  • यह आसन आँखों के विकार,आँखों में पानी आना,खुजली आदि को दूर करने में सहायक माना गया है।
  • इस आसन के अभ्यास करने से स्त्रियों में मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है।
  • यह गठिया रोग में लाभदायक माना गया है।
  • इस आसन को करने से पेट और आँतों में खिंचाव महसूस होता है,जिससे कब्ज की समस्या को कम करने में सहायक माना गया है
  • इस आसन में पीछे की ओर मुड़ने से मेरुदंड की क्रियाशीलता बड़ती है तथा हड्डियाँ ढीली और लचीली बनती हैं।यह मेरुदंड की नसों को प्रेरित करता हैजिससे कमर दर्दस्लिप डिस्कसाइएटिका और कंधों की जकड़न से राहत मिलती है ,यह कमर और कंधों को मजबूत बनाने में सहायता करता है।
  • इसका अभ्यास करने से थायरॉइड,पैराथायरॉइड,डायबिटीज,अस्थमा,ब्रोंकाइटिस,कोलाइटिस,गुर्दे की समस्या,डिस्पेप्सिया,मोटापा और नपुंसकता की समस्याओं को दूर करने में लाभदायक माना गया है।  
  • इस आसन को करने से गर्दन के अगले भाग में पूरी तरह से खिचाव होता है,जो इस क्षेत्र के अंगों को टोन करता है और थायरॉयड ग्रंथि को नियंत्रित करने में मदद करता है                     

उष्ट्रासन के वैज्ञानिक प्रभाव(Scientific effects of Ustrasana)

उष्ट्रासन के अभ्यास में कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक तत्व शामिल होते हैं, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में में मददगार हैं:

स्थिरता(Stability) 

इस आसन का अभ्यास करने के लिए हमें अपने शरीर में स्थिरता रखनी आवश्यक होती है जिससे हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में मजबूती बनी रहें ,और हम सही ढंग से आसन कर सकें और चोट का खतरा कम से कम रहे 

विस्तार(Extension) 

इस आसन को करने के दौरान मेरुदंड,कमर,हाथ और छाती की मांसपेशियाँ का विस्तार होता है जो हमारे  पोषक तंतुओं (dietary fiber) को स्वस्थ बनाता है।

खिंचाव(Stretching)

इस आसन के अभ्यास से शरीर में खिंचाव उत्पन्न होता है,जिससे हमारे पेट ,पीठ और जांघों की मांसपेशियां लचीली हो जातीं है और रक्त संचार ठीक तरीके से होने में मदद मिलती है 

जागरूकता(Awareness )

 इस आसन के करते समय आत्म-जागरूकता बनाना आवश्यक है। यह हमें अपने शरीर के भिन्न भिन्न हिस्सों की जानकारी देने में मदद करता है और सही स्थिति बनाये रखने में सहायक होता है।

श्वास-नियंत्रण(BreathControl)

 जब हम आसन के अनुरूप श्वास लेते है,श्वास पर नियंत्रण हो जाता है,तो 
शरीर को ऊर्जा मिलती है,आक्सीजन का स्तर हमारे शरीर में बढ़ता है ,मन शांत हो जाता है,अभ्यास के
 प्रति एकाग्रता बड़ती है,विचार कम आते है और हम वर्तमान स्थिति में अपने आप को एकाग्र कर सकते है ,मानसिक तनाव कम होता है इसीलिए शारीरिक और मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
प्रणाली(Systems)

 इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र(digestion system),मांसपेशी तंत्र (muscular system),श्वसन तंत्र( respiratory system),रक्त परिसंचरण तंत्र (circulatory system),अंतस्रावी (Endocrine ), अस्थि पंजर( bone skeleton) इन तंत्रों को सुचारू रूप से चलाने में सहायता करता है 

उष्ट्रासन करने के पूर्व की सावधानियाँ(Precautions before doing Ustrasana)

       उष्ट्रासन को करते समय निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना महत्वपूर्ण माना गया है :  

  1.  इस आसन का अभ्यास स्थिर और सुरक्षित जगह पर करें।जिससे कोई आपके अभ्यास के दौरान एकाग्रता भंग ना करे,जिससे आप पूरी तरह से आसन में ध्यान केंद्रित कर सकें
  2. इस आसन का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए। 
  3.  इस आसन के दौरान श्वास-नियंत्रण पर ध्यान दें।सही तरीके से श्वास लेने से आपका आसन और मानसिक स्थिति और बेहतर हो सकती है।
  4. इसका अभ्यास अधिकतम लाभ प्राप्त करने  के लिए नियमित रूप से करना चाहिएलेकिन प्रारंभ में धीरे धीरे अभ्यास को बढ़ाना चाहिए।
  5.  इसका अभ्यास उच्च रक्तचाप से पीड़ित मनुष्य को नहीं करना चाहिये।
  6. अगर किसी कारणवश आपका शरीर योगासन को नहीं कर पा रहा है,तो तुरंत रुक जाएं। किसी भी प्रकार के दर्द या अस्वस्थता के संकेत पर ध्यान दें और योग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
  7. इस आसन का अभ्यास हर्निया से प्रभावित मनुष्य को नहीं करना चाहिये।
  8. जिसको माइग्रेन दर्द,सिर दर्द या चक्कर  रहे हों उसको इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  9. यदि बहुत अधिक कमर में दर्द है तो इसका अभ्यास  करे या फिर किसी विशेषज्ञ के निर्देशानुसार अभ्यास को करें
  10. यदि पेट में किसी प्रकार का ऑपरेशन हुआ है तो सबसे पहले योग्य डॉक्टर से सलाह ले फिर अभ्यास को सुरू करे
  11. यदि साइटिका का अधिक दर्द है तो किसी विशेषज्ञ की देख रेख में ही अभ्यास करें
  12. स्लिप डिस्क समस्या से ग्रसित व्यक्ति को भी किसी योग चिकित्सक की देख रेख में अभ्यास को करना चाहिए।
  13.  जिसके घुटने में ज्यादा दर्द (knee acute pain) है वह व्यक्ति इस आसन का अभ्यास कुछ समय के लिये  करें
  14. यदि आप शुरुआती अभ्यासी है तो या आसन में अनुभवी नहीं हैं,तो धीरे-धीरे शुरुआत करें। अपने शरीर की सीमाओं को जानने के लिए समय दें और उन्हें स्थायीता के साथ बढ़ाएं। किसी भी आसन का अभ्यास हमें किसी कुशल विशेषज्ञ  की देख रेख में करना चाहिए ,क्योंकि गलत तरीके से किया गया अभ्यास हमें लाभ के स्थान पर हानि पहुँचा सकता है।
    

           १ चुकन्दर के फ़यदे और नुकसान-

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