एनिमा ,एनिमा करने का तरीका, एनिमा से लाभ , नुकसान और सावधानियाँ ,Enema, Enema Karne Ka Tarika, Enema Se Labh, Nuksan Aur Savdhaniyan

 Written by: Dr. Virendra Singh

 Edited by : Pratibha Thakur

एनिमा ,एनिमा करने का तरीका,  एनिमा से लाभ , नुकसान और सावधानियाँ
ENEMA


एनिमा को अंत्र स्नान , जल बस्ति या आभ्यंतर स्नान, फाउंटेन सिरिंज, ग्रेविटी डाउच वृहत अन्त्र स्नान यंत्र, डूस, दवाउल मुबारक तथा यूनानी जबान में हुकना के नाम से जाना जाता है।इसके उपयोग से आँतों को साफ और शुद्ध किया जाता है बिना किसी प्रकार के उत्तेजना और जलन के, यह क्रिया बहुत ही उपयोगी है यह क्रिया बड़ी आँत को मजबूत करने में सहायक मानी गई है।आयुर्वेद में अनेक रोगों का कारण कब्ज माना गया है।कब्ज से ही अस्सी प्रतिशत बीमारियाँ जन्म लेती है क्योंकि आँतो में धीरे धीरे मल एकत्र होता रहता है जो कुछ समय बाद अनेक प्रकार के कीटाणुओं को पैदा कर देता है जो शारीरिक और मानसिक अनेक प्रकार की बीमारियाँ पैदा करता है, एनिमा हमारे  अंतड़ियों की सफाई का कार्य करता है।अंतड़ियों की सफाई का तत्पर्य है संपूर्ण शरीर की सफाई क्योंकि अधिकतम समस्यायें पेट से ही उत्पन्न होती है जिसका मुख्य कारण होता है आँतों में मल का जमा होना जो एनिमा के माध्यम से ठीक कर सकते है।यह हमारी शरीर की सफाई करता है इसीलिए डॉक्टर अधिकतर बीमारियों में पहले दो या तीन बार एनिमा का प्रयोग कराते है जिससे पेट की सफाई हो जाये जिससे पचास प्रतिशत बीमारियों को कम किया जा सकता है क्योंकि अधिकतर समस्याएँ पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न होती है।इस कारण एनिमा को समस्त रोगों का नाशक माना गया है।अनेक प्रकार के एनिमा पॉट बाजार में उपलब्ध है जो आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाए जा सकते है।


विषय सूची(Table of contents)


  • एनिमा क्या है? (What is enema?)

  • बच्चों के लिए एनिमा (Enema for children)

  • महिलाओं के लिए एनिमा ( Enema for women)

  • गर्भावस्था के लिए एनिमा (Enema for pregnancy)

  • बुढ़ापे के लिए एनिमा (Enema for old age)

  • एनिमा लेने के सम्बन्ध में कुछ आवश्यक बातें (Some important things regarding taking enema)

  • एनिमा लेने की प्रक्रिया (Procedure of taking enema)

  • एनिमा के प्रकार (Types of enemas)

  • हाई एनिमा (High enema)

  • शक्तिदायक एनिमा (Invigorating enema)

  • चिकित्सकीय एनिमा (Medical enema)

  • डायग्रोस्टिक एनिमा (Diagnostic enema)

  • फ्लिट्स फास्फोसोडा एनिमा (Flits Phosphosoda Enema)

  • मिनरल आयल एनिमा (Mineral oil enema)

  • नीम की पत्ती का एनिमा (Neem leaf enema)

  • त्रिफला का एनिमा (Triphala Enema)

  • छाछ का एनिमा (Buttermilk enema)

  • नींबू पानी का एनिमा (Lemon water enema)

  • पोटेशियम परमैग्नेट एनिमा (Potassium permanganate enema)

  • अरण्डी के तेल का एनिमा (Castor oil enema)

  • ठंडे पानी का एनिमा (Cold water enema)

  • गुड और राई का एनिमा (Jaggery and rye enema)

  • शहद और दूध का एनिमा (Honey and milk enema)

  • प्याज और लहसुन का एनिमा (Onion and Garlic Enema)

  • इसबगोल एनिमा (Isabgol Enema)

  • अशोक की पत्ती और छाल का एनिमा (Ashoka leaf and bark enema)

  • गूलर की पत्ती और जड़ की छाल का एनिमा (Enema of sycamore leaf and root bark)

  • अरण्ड पत्तों के काढ़े का एनिमा (Enema of decoction of castor leaves)

  • एनिमा के लाभ (Benefits of enema)

  • एनिमा शरीर को अन्दर से साफ करने में सहायक (Enema helps in cleaning the body from inside)

  • एनिमा से कब्ज में राहत (Relief from constipation with enema)

  • एनिमा रक्त शुद्धि करने में सहायक (Enema helps in blood purification)

  • एनिमा का लाभ वजन कम करने में (Benefits of enema in weight loss)

  • एनिमा कृमि संक्रमण को दूर करने में (Enema to remove worm infection)

  • एनिमा पीलिया रोग में उपयोगी (Enema is useful in jaundice)

  • एनिमा प्रसव में सहायक (Enema help in delivery)

  • एनिमा का गठिया में लाभ (Benefits of enema in arthritis)

  • एनिमा का लाभ बवासीर में (Benefits of enema in piles)

  • एनिमा का लाभ पुरानी कोष्ठबद्धता और मन्दाग्नि में (Benefits of enema in chronic constipation and dysentery)

  • एनिमा से रक्त की खराबी ठीक करने में (Enema to cure blood disorders)

  • एनिमा श्वास की बीमारी में (Enema in respiratory disease)

  • एनिमा का लाभ सिरदर्द मूर्च्छा चक्कर आने में (Benefits of enema in headache, fainting, dizziness)

  • एनिमा का लाभ अफरा में (Benefits of Enema in Afra)

  • एनिमा का लाभ खासी में (Benefits of enema in cough)

  • मुंह से दुर्गन्ध आना (Bad breath)

  • एनिमा का लाभ यकृत विकार में (Benefits of enema in liver disorders)

  • एनिमा का लाभ शरीर का पीला और निस्तेज हो जाने में (The benefit of enema is that the body becomes pale and dull.)

  • एनिमा का लाभ फोड़े, फुँसी, दाद, खाज आदि चर्म रोगों में (Benefits of enema in skin diseases like boils, pimples, ringworm, scabies etc.)

  • एनिमा का लाभ जीभ में लाल छाले पढ़ने पर (Benefits of enema when reading red blisters on tongue)

  • एनिमा का लाभ स्नायु विकार में (Benefits of enema in nervous disorders)

  • एनीमा का लाभ तनाव और थकान को कम करने में (Benefits of enema in reducing stress and fatigue)

  • एनिमा का लाभ विचारों को शान्त करने में (Benefits of enema in calming thoughts)

  • एनिमा का लाभ एकाग्रता बढ़ाने में (Benefits of enema in increasing concentration)

  • एनिमा का अनिद्रा में लाभ (Benefits of enema in insomnia)

  • एनिमा का लाभ ऊर्जा बढ़ाने में (Benefits of enema in increasing energy)

  • एनिमा सर्व रोग नाशक (Enema cures all diseases)

  • एनिमा के नुकसान (Disadvantages of enema)

  • विशेष कथन (Special statement)

  • एनिमा का हमारे शारीरिक अंगों पर प्रभाव (Effect of enema on our body organs)

  • सावधानियाँ (Precautions)

  • एनिमा को लेकर कुछ पूछे जाने वाले प्रश्न (Some frequently asked questions regarding enema)


एनिमा क्या है? (What is enema?)


आँतों की सफाई का एनिमा एक प्राकृतिक तरीका है जिसका उपयोग करके हम इंजेक्शन या एनिमा नोजल से मल द्वार के अन्दर तेल या पानी डालते है और दस से पंद्रह मिनट तक अन्दर रखने के बाद धीरे धीरे मल त्याग के द्वारा बाहर कर देते है इससे पेट के भीतर जमा पुराना और कड़ा मल बहुत ही आसानी से बाहर निकल जाता है। आँतों और पेट की सफाई हो जाती है।


आयुर्वेद में एनिमा का एक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है जब व्यक्ति कब्ज से पीड़ित होता है और बड़ी आँत में मल का जमाव हो जाता है तब उस समस्या को ठीक करने के लिए एनिमा का उपयोग किया जाता है इस क्रिया में एक एनिमा पॉट होता है उसमे एक ट्यूब लगी होती है , ट्यूब के अंत में एक नोजल लगा होता है जो हमारे गुदाद्वार से अन्दर डाला जाता है।एनिमा पॉट में पानी, तेल या जिस पदार्थ का एनिमा लेना हो वो भर देते है फिर उस नोजल को अपने एनस में फिट करके आँतों में पानी ,तेल तरल पदार्थ पहुँचाया  जाता है यह तरल पदार्थ हमारे आतों में पड़े ठोस मल को नरम करके बाहर करने का कार्य करता है जिससे  हमारे पेट और बड़ी आँत की सफाई होती है जो अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने में सहायता करता है।पीलिया रोग में गर्म पानी के एनिमा के बाद ठंडे पानी का एनिमा लेने से बड़ा लाभ मिलता है इसी प्रकार अनेक रोग जैसे की गठिया, बवासीर, पुरानी कोष्ठबद्धता ,मंदाग्नि , रक्त की खराबी , श्वास की बीमारी, सिरदर्द , मूर्च्छा, चक्कर आना, अफरा, खांसी, मुंह से दुर्गंध आना, यकृत विकार, शरीर का पीला पड़ना और निस्तेज हो जाना , फोड़ा- फुंसी, दाद-खाज आदि चर्म रोगों का होना जीभ में लाल छाले पड़ जाना तथा स्नायु विकार आदि लगभग सभी शारीरिक और मानसिक रोग एनिमा  के कुछ ही दिन के प्रयोग से लाभ होने लगता है और रोगी धीरे धीरे स्वस्थ होने लगता है।


बच्चों के लिए एनिमा (Enema for children)


बच्चों के लिए भी एनिमा का बहुत अधिक महत्व है बच्चों के स्वास्थ्य की जरूरत के अनुसार आज कल बाजार में बहुत सारे एनिमा उपलब्ध है जो डॉक्टर की सलाह से हम आवश्यकता पड़ने पर उपयोग कर सकते है जिससे बच्चों के स्वास्थ्य की देख रेख कर सकते है।


महिलाओं के लिए एनिमा ( Enema for women)


एनिमा का महत्व महिलाओं में भी है इससे अनेक प्रकार की समस्याओं से बचा जा सकता है महिलाओं में अनेक समस्यायें जैसे अनियमित मासिक स्राव, रक्तप्रदर , ल्यूकोरिया आदि समस्याओं को ठीक करने में एनिमा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि अधिकतर समस्यायें कब्ज और पेट की गड़बड़ी के कारण होतीं है जो एनिमा से लाभ मिल सकता है और समस्याओं को ठीक करने में मदद मिल सकती है।


गर्भावस्था के लिए एनिमा (Enema for pregnancy)


सुखपूर्वक प्रसव के लिए एनिमा बहुत ही प्रभावी माना गया है गर्भवती महिलाओं के लिए इससे प्रसव की वेदना को कम करने में मदद मिलती है।गर्भवती महिला को कब्ज से राहत मिलती है इसके अभ्यास से आँतों की सफाई होती है जिससे तनाव और मानसिक भारीपन कम होता है और मन को शांति मिलती है जो प्रसव के लिए आवश्यक माना गया है।


बुढ़ापे के लिए एनिमा (Enema for old age)


वृद्धावस्था में कब्ज की समस्या अक्सर परेशान करती रहती है क्योंकि शरीर में वायु की मात्रा बढ़ने से कब्ज की समस्या अक्सर होने लगती है इस समस्या से बचने के लिये एनिमा एक अच्छा प्राकृतिक साधन है जिसको उचित तरीके से किया जा सकता है और इसका लाभ उठाया जा सकता है बुढ़ापे में एनिमा करने के लिये अनेक सरल तरीके है और एनिमा पॉट भी बाजार में उपलब्ध है जिसको आसानी से किया जा सकता है बिना किसी परेशानी के लाभ उठाया जा सकता है।


एनिमा लेने के सम्बन्ध में कुछ आवश्यक बातें (Some important things regarding taking enema)


एनिमा हमारे स्वस्थ के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है किंतु कुछ आवश्यक बातें बताई गई है जो हमें ध्यान रखना जरुरी है

खाने के तीन घंटे बाद तक एनिमा नहीं देना चाहिए क्योंकि उस समय पाचन क्रिया चल रही होती है।

एनिमा के पानी का परिमाण धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए।जब अधिक समय तक एनिमा लेना हो तब कुछ दिनों तक कम फिर कुछ दोनों तक ज्यादा ,फिर थोड़े समय के लिये कम पानी चढ़ाना चाहिए।

एनिमा लेने के तुरन्त बाद कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।


•  एनिमा लेने के पश्चात कम से कम  दस से पंद्रह मिनट लेते रहना चाहिए जिससे आतों को पूर्णतः विश्राम मिल सके।


•  एनिमा का पानी शरीर के तापक्रम के बराबर होना चाहिये , अधिक गर्म नहीं होना चाहिए।


•  स्वस्थ व्यक्ति गर्मियों में ठंडा या ताजा पानी एनिमा उपयोग में ला सकते है।


•  एनिमा के पानी में नींबू मिलाया जा सकता है।यदि रोगी को अधिक कब्ज है तो एक या दो कागजी नींबू का रस छान कर या थोड़ा शहद मिला देने से मल साफ हो जाता है।


•  प्रारंभ में और कमजोर रोगियों के लिए एनिमा लेने के स्थान के पास टॉयलेट होना चाहिए अन्यथा  कभी कभी टॉयलेट(पाखाना) रोकना मुस्किल हो सकता है।


•  ज्वर के समय एनिमा का पानी हल्का गुनगुना होना चाहिये।


•  एनिमा में ठण्डे पानी का उपयोग करने से आतों का बल बढ़ता है, मरी नसों में जान लाता है और सोई नसों को जगाने का कार्य करता है।


•  ज्यादा कब्ज होने पर रसाहार, फलाहार और उपवास के साथ साथ एनिमा का उपयोग कर सकते है।


•  अनेक प्रकार के नये रोगों में उपवास के साथ एनिमा लेने से अस्सी प्रतिशत रोग ठीक होने की संभावना रहती है।


•  अनेक प्रकार के पुराने रोगों में फलाहार और बीच बीच में उपवास के साथ एनिमा लेते रहने से शीघ्र ही लाभ मिलता है।


•  एनिमा लेने से तीस मिनट पहले या बाद में कटि स्नान या मेहन स्नान करना लाभदायक माना गया है।


•  एनिमा लेने के बाद यदि एक या दो दिन तक पेट साफ नहीं होता तो घबराना नहीं चाहिए, एक दिन बाद फिर एनिमा लेकर छोड़ देना चाहिए।


•  यदि आतों में घाव है तो एनिमा पॉट को बहुत नीचे रखकर पतली नली की रबर द्वारा धीरे धीरे एनिमा का पानी चढ़ाना चाहिये जिससे आतों में किसी प्रकार का नुकसान हो और घाव को चोट पहुँचे।


•  एनिमा लेने के बाद पूरे एनिमा पॉट ,ट्यूब और नोजल को साबुन से गर्म पानी में धुल कर रखना चाहिए ताकि बैक्टीरिया पैदा हो पाये।


•  सुबह शाम शौच के पश्चात एनिमा लेना उचित माना गया है।


•  एनिमा लेने के पहले आधा लीटर गुनगुना या ताजा पानी पीना लाभदायक माना गया है।


•  यदि एनिमा लेते समय हमें जोर से टॉयलेट लगती है और बर्दाश्त से बाहर है तो पहले टॉयलेट हो आएँ फिर आवश्यकतानुसार एनिमा लें।


•  एनिमा लेने के पंद्रह मिनट बाद पूर्ण स्नान बनाया जा सकता है।


•  पेंडू पर मिट्टी पट्टी लेनी हो तो एनिमा लेने के पहले पट्टी ले फिर इसके बाद एनिमा ले


•  जब पेट साफ होने लगे तब एनिमा बंद कर देना चाहिए।

6 माह से 1वर्ष तक के बच्चे को एनिमा के अभ्यास में 100 से 150 ग्राम पानी उपयोग में ला सकते है।


•  1 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चे को एनिमा अभ्यास में 150 से 400 ग्राम तक पानी उपयोग में ला सकते है।


•  6 वर्ष से 12 वर्ष तक के बच्चे को एनिमा अभ्यास में 400 ग्राम से 800 ग्राम पानी उपयोग में लाया जा सकता है।


•  12 वर्ष से 25 वर्ष के युवा को एनिमा अभ्यास में 1 लीटर पानी उपयोग में लाया जा सकता है।


•  25 वर्ष के ऊपर की उम्र के लिए एनिमा अभ्यास में सवा से डेढ़ लीटर पानी उपयोग में ला सकते है।


एनिमा लेने की प्रक्रिया (Procedure of taking enema)


एनिमा ,एनिमा करने का तरीका,  एनिमा से लाभ , नुकसान और सावधानियाँ

एनिमा पॉट एक डिब्बे की तरह होता है जिसके नीचे से एक बाहर की ओर एक नली सूराखदार सिरा युक्त निकलती है इसमें  चार से पाच फिट की एक लम्बी  रबर ट्यूब या नली लगी होती है।रबर की नली के दूसरे सिरे पर लगाने के लिये दो सींग की छोटी छोटी और लम्बी नलियाँ मिलती है।एक बटन होती है दूसरा एनिमा नोजल सीदा सा।पहले बटनदार नली को रबर की नली के दूसरे सिरे में फिट करते है इसके बाद एनिमा नोजल  को बटनदार के ऊपर फिट कर देते है।एक छेद वाले एनिमा नोजल  के साथ एक फुहारेदार नोजल (नली) और मिलती है।काम दोनों से चल सकता है किन्तु फुहारेंदार नोजल अधिक उपयुक्त माना गया है फुहारें वाली नोजल स्त्रियों के योनि स्नान में अधिक काम आती है एक एनिमा पॉट छः माह के बच्चे से लेकर सौ वर्ष के व्यक्ति तक उपयोग में ला सकते है।


•  सर्वप्रथम एनिमा पॉट और उसकी नालियों को गर्म पानी के साथ साबुन से ठीक से साफ कर लें


•  इसके बाद जमीन या तख्त जहां आपको एनिमा लेना है उसके पैताने तीन से चार फिट ऊपर एनिमा पॉट को किसी कील से टांग दें। 


•  अगर बैंच या तख्त पर एनिमा लेना है तो उसका पैताना जिस तरफ एनिमा का डिब्बा या पॉट टंगा है उसको आधा फिट ऊँचा कर दीजिए यह काम पैताने की तरफ तख्त के दोनों पैरों में दो ईंट रखने से हो जाएगा।


•  अब एनिमा पॉट में जो नली लगी है उसके बटन को बंद कर दें और आवश्यकतानुसार उसमे नार्मल या हल्का गुनगुना पानी भर दें।प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत उम्र ओर समस्या के अनुसार अलग अलग हो सकती है वह जानकारी आपको आपकी समस्या के अनुसार डॉक्टर या किसी  नेचुरोपैथी या योग विशेषज्ञ से सम्पर्क करने से प्राप्त हो जाएगी।


•  एनिमा लगाने से पहले एनिमा नली से कुछ पानी बाहर निकाल दें ताकि उसमें हवा रह जाये और हवा है तो वह बाहर निकल जाये और इससे यह भी पता चल जाएगा की पानी का बहाव कैसा है पॉट में।क्योंकि पानी के साथ हमारे आतों में हवा जा कर हानि पहुँचा सकती है।


•  अब एनिमा नोजल में थोड़ा सा घी, नारियल का तेल या वेस्लीन लगा लें जिससे नोजल को एनस ( गुदा मार्ग) में प्रवेश कराने में तकलीफ हो और ही किसी प्रकार की चोट पहुँचे।


•  अब रोगी को एनिमा पॉट की तरफ पैर करके लेटा दें।


•  रोगी को उसका बटक (buttocks) खोलकर सीधा पीठ के बल तख्त पर लिटा दें।लेटने पर रोगी का सिर का हिस्सा नीचे होगा और एनिमा पॉट तरफ नितंबों का हिस्सा ऊपर होगा।


•  रोगी के दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ दें और दोनों घुटनों में गैप एड़ी और पंजों के समानांतर कर दें।

इसके पश्चात रबर की लटकी हुई नली के अग्र भाग नोजल को रोगी के एनस के रास्ते में लगभग दो इंच तक डाल दें।


•  इसके बाद एनिमा नली का बटन खोल दें रोगी के पेट में पानी जाने लगेगा कभी कभी पानी चढ़ने में कुछ कठिनाई होती है, कभी थोड़ा पानी चढ़ने के बाद पेट में मरोड़ या दर्द उत्पन्न हो सकता है और येसा महसूस होता है कि पेट में पानी नहीं रोका जा सकता उस स्थिति में पानी का चढ़ाना कुछ समय के लिये बंद कर देना चाहिये कुछ समय बाद पेट का दर्द शांत होने पर पेडू को बाई से दाहनी ओर मलिये 

जब सब पानी चढ़ चुके तो पानी को पेट पर रोके रखें और पेडू की मालिस दाहिनी से बाई और करें।पहली बार पेट में पानी रोकना मुस्किल हो सकता है किन्तु कुछ समय के अभ्यास से यह आसान हो जाएगा।


•  पेट में पानी रोकने से आँतों का मल फूलकर बाहर निकल आता है और अधिक एनिमा लेने की जरूरत नहीं पड़ती।


•  एनिमा लेने के तुरत बाद टॉयलेट जाने से आतों का मल ठीक से नहीं निकलता और पेट की सफाई ठीक से नहीं हो पाती और एनिमा की आदत पड़ने का खतरा बन जाता है।


•  यदि लगातार एनिमा लेते रहेंगे सात से आठ महीने तो एनिमा की अदद लगना स्वाभाविक है।


•  एनिमा लेने के पश्चात टॉयलेट में पानी मिले मल को अपने आप निकलने देना चाहिए जोर  नहीं लगाना चाहिए नहीं तो मल की सफाई  आतों से ठीक से नहीं होगी।


•  प्रारंभिक समय में एनिमा लेने के पश्चात टॉयलेट में बीस से पच्चीस मिनट बैठने की जरूरत पड़ सकती है आतों कि सफाई के लिये।


•  एनिमा लगाते समय यदि बैंच या तख्त नहीं है तो रोगी के पीठ के नीचे तकिया लगा कर एनिमा दिया जा सकता है।


•  यदि एनिमा की संपूर्ण जानकारी है तो एनिमा स्वयं लिया जा सकता है बगैर किसी के मदद के।


•  यदि किसी कारण से सीधे चित्त लेटकर एनिमा लेना मुस्किल हो तो दाहिनी करवट लेटकर एनिमा लिया जा सकता है।


•  इसी प्रकार उकड़ूँ होकर शरीर का भार घुटनों और बाजुओं पर रखकर एनिमा लेना भी ठीक तरीका है जिससे आतों की सफाई की जा सकती है।


एनिमा के प्रकार (Types of enemas)


एनिमा अनेक प्रकार के होते है जो व्यक्ति की आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाए जातें है।एनिमा को सीधा लेटकर भी ले सकते है, दाहिनी करवट लेटकर भी ले सकते है या बाई करवट में भी लिया जा सकता है और पेट के बल लेटकर भी एनिमा ले सकते है जिसके लिये जो सम्भव हो उस स्थिति में एनिमा का अभ्यास कर सकता है।एनिमा का पानी कम से कम 15 से 20 मिनट रोकने का प्रयास करना चाहिए।


हाई एनिमा (High enema)


यह भी एक प्रकार का एनिमा है इसमें रबर की नली 32 इंच की लम्बी होती है इस एनिमा को लेते समय 32 इंच की नली को रोगी के बड़ी आँत में 30 इंच पूरी डाल दी जाती है केवल 2 इंच शेष बाहर रखते है इस एनिमा का प्रचलन अधिकतर अमेरिका में है भारत में अभी  उपयोग के बराबर है।


शक्तिदायक एनिमा (Invigorating enema)


इस एनिमा को संस्कृत में रक्त प्रक्षालिका बस्ति और अंग्रेजी में The Tonic Enema कहते है।

इस एनिमा के अभ्यास में साधारण ठंडा और ताजा पानी या हल्का गुनगुना पानी 250 से 350 ग्राम आतों में चढ़ा लिया जाता है इस पानी को कम से कम 30 से 35 मिनट रोककर रखा जाता है इसके पश्चात टॉयलेट जाते है जिससे पूर्णतः पेट और बड़ी आँत साफ हो जाती है। यदि हमें अधिक समय तक एनिमा लेना है तो इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है क्योंकि इसमें एनिमा की अदद नहीं पड़ेगी शरीर को  लाभ भी प्राप्त होगा।इसके अभ्यास में बहुत अधिक ठंडा पानी उपयोग में नहीं लेना चाहिए क्योंकि ठंडे पानी से पेट में मरोड़ या दर्द उत्पन्न हो सकता है जिससे समस्या बढ़ सकती है और ना ही अधिक गर्म पानी का एनिमा लेना चाहिए क्योंकि गर्म पानी का एनिमा हमारी आतों को कमजोर कर देता है जिससे हमारे शरीर में हानि पहुँच सकती है। नार्मल ठंडा या ताजा पानी से आँतों को शक्ति मिलती है जो उपयोगी माना गया है।

शक्तिदायक एनिमा से आँतों को बल और मजबूती मिलती है और कुछ दिनों में कब्ज पूर्णतः दूर हो जाता है।आवश्यकता पड़ने पर यह एनिमा दिन में दो बार भी लिया जा सकता है।इस एनिमा के अभ्यास में एनिमा का वह नोजल उपयोग में लाए जो स्त्रियों की योनि बस्ति के काम में आती है, क्योंकि इस नली या नोजल का छेद बहुत ही बरीख होता है जिससे पानी अन्दर इस प्रकार प्रवेश करता है कि वह आँतों में एकत्र नहीं हो पाता और आँतों द्वारा सोख लिया जाता है धीरे धीरे रक्त में मिलकर सारे शरीर से घूमकर मूत्र के रूप में बाहर निकल जाता है और हमारे अन्दर के टॉक्सिन को बाहर करने में मदद करता है।

इस एनिमा के अभ्यास से कब्ज, गर्मी, सुजाक मंथर ज्वर , आँतों के रोगों में बहुत ही लाभदायक माना गया है।


चिकित्सकीय एनिमा (Medical enema)


यह एनिमा हमारी आँतों और गुदा को साफ करने का कार्य करता है, कब्ज से पूर्णतः राहत देने का कार्य करता है आँतों और पेट से संबंधित बीमारियों के लिए बहुत ही उपयोगी  माना गया है, क्रोहन और अल्सरेटिव कोलाइटिस में लाभ पहुँचाता है।


 डायग्रोस्टिक एनिमा (Diagnostic enema)


इस प्रकार के एनिमा के माध्यम से पेट दर्द, रक्त स्राव और अल्सरेटिव कोलाइटिस में और साथ साथ कुछ आँतों या गुदा की समस्याओं के लिए उपयोग में लाया जाता है।

बेरियम एनिमा एक येसी ही तकनीक का एनिमा है इसमें डॉक्टर को एक्स रे पर ठीक से दिखता है और आँतों को विस्तार से देखने में सहायता मिलती है।


एनिमा में अनेक प्रकार के तरल पदार्थ या द्रव्य का उपयोग किया  जा सकता है।


फ्लिट्स फास्फोसोडा एनिमा (Flits Phosphosoda Enema)


इस एनिमा के अभ्यास में आँतों में पानी बनाये रखने के लिये सोडियम फास्फेट नामक नमक का उपयोग करते है कब्ज के लिये इस एनिमा को बहुत ही उपयोगी माना गया है किन्तु साइड इफेक्ट को रोकने के लिए इसका उचित खुराक देना आवश्यक है।यह मार्केट में डिस्पोजेबल बैग और नोजल के साथ उपलब्ध है जिससे इस एनिमा का उपयोग करना बहुत ही आसान माना गया है क्योंकि इसमें इसके अलावा किसी अन्य उपकरण कि आवश्यकता नहीं पड़ती है।


मिनरल आयल एनिमा (Mineral oil enema)


इस तरह के एनिमा के अभ्यास में आँतों के अन्दर एक लूब्रिकेट्स की तरह कार्य करते है जिससे कब्ज से पीड़ित रोगी को ठोस मल को त्यागने में आसानी प्राप्त होती है


नीम की पत्ती का एनिमा (Neem leaf enema)


दो लीटर पानी में सौ ग्राम नीम की पत्तियाँ डालें और धीमी आँच में उबलने दें जब आधा शेष बचे तब उचित तापमान होने पर एनिमा पॉट में डालकर एनिमा के माध्यम से उस पानी को अपनी आँतों के अन्दर ले जाये।नीम के पानी का एनिमा लेने से रक्त का शोधन होता है और यह पेट के कीड़े ( कृमि ) को मारने और घावों को ठीक करने में मदद करता है।


त्रिफला का एनिमा (Triphala Enema)


एक लीटर पानी में पचास ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला कर धीमी आँच में पकाये आधा शेष रहने पर उचित तापमान होने पर एनिमा पॉट में वह पानी डालें और एनिमा का उपयोग करें।त्रिफला चूर्ण का एनिमा आँतों की विशेष शुद्धि के लिए उपयोग किया जाता है।


छाछ का एनिमा (Buttermilk enema)


250 से 300 ग्राम दही की छाछ बनाकर एनिमा में डालें और पानी के स्थान पर छाछ का एनिमा लें।छाछ का एनिमा लेने से चिपके हुए आँव को उखाड़ने में मदद मिलती है,यह हमारे आँतों को शक्तिशाली बनाने में मदद करता है।


नींबू पानी का एनिमा (Lemon water enema)


एक लीटर गुनगुने पानी में एक नींबू का रस छानकर डाल दें इस नींबू पानी का एनिमा लें।नींबू पानी का एनिमा हमारे आँतों की शुद्धि के लिये विशेष लाभकारी माना गया है यह आँतों में फसे मल को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे संपूर्ण आँतों की शुद्धि होती है। 


पोटेशियम परमैग्नेट एनिमा (Potassium permanganate enema)


एक से डेढ़ लीटर गुनगुने पानी में चार से पाच कण लाल दवा ( पोटेशियम परमैग्नेट ) मिलाये।इस मिश्रित पानी को एनिमा पॉट में भरें। पोटेशियम परमैग्नेट एनिमा लेने से पेट के कीड़े ( कृमि ) नष्ट करने में मदद मिलती है।


अरण्डी के तेल का एनिमा (Castor oil enema)


 इस एनिमा के अभ्यास में 40 से 50 ग्राम अरण्डी का तेल( कैस्टर आयल) एनिमा नली में डाल कर पीछे से एक लीटर गुनगुने पानी को चढ़ायें। अरण्डी के तेल का एनिमा जिस व्यक्ति को अत्यधिक कब्ज रहती है उस स्थिति में इस एनिमा को सप्ताह में एक या दो बार देना चाहिए।यह आँतों में चिकनाहट ला कर मल को बाहर सरकने की प्रवृति पैदा करता है जिससे मल रोगी के आँतों से बाहर निकल जाता है और पेट साफ करने में मदद मिलती है।


ठंडे पानी का एनिमा (Cold water enema)


ठंडे पानी का एनिमा आँतों में छाले, बवासीर, पीलिया आदि समस्याओं में उपयोग किया जाता है। यह एनिमा कब्ज ठीक करता है और आँतों को शक्ति प्रदान करने में मदद करता है।


गुड और राई का एनिमा (Jaggery and rye enema)


600 ग्राम गुनगुने पानी में 60 ग्राम गुड का शीरा और 6 ग्राम राई पीस छानकर घोल बनाये इस घोल को एनिमा पॉट में डाल कर एनिमा लगायें।गुड और राई का एनिमा छोटे बड़े कृमि ( कीड़ों ) के नाश के लिए उपयोगी माना गया है।


शहद और दूध का एनिमा(Honey and milk enema)


60 ग्राम शहद में 600 ग्राम दूध गर्म कर उचित तापमान होने पर  एनिमा में उपयोग करें और कुछ समय तक रोकें।शहद और दूध का एनिमा आँतों की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है।


प्याज और लहसुन का एनिमा(Onion and Garlic Enema)


एक लीटर गुनगुने पानी में 60 ग्राम प्याज का रस और 15 ग्राम लहसुन का रस मिश्रित करके घोल बना लें इस घोल को एनिमा के माध्यम से उपयोग करें।प्याज और लहसुन का एनिमा पेट में कृमि ( कीड़े ) नाश के लिये उपयोग में लाया जाता है।


इसबगोल एनिमा(Isabgol Enema)


आधा लीटर पानी में 100 ग्राम इसबगोल मिला कर पकायें सामान्य तापमान होने पर एनिमा के अभ्यास में इस पानी का उपयोग करें। इसबगोल का एनिमा लेनें पर यह आँव उखाड़ कर बाहर करने का कार्य करता है और पेट में मरोड़ होने में भी लाभदायक सिद्ध होता है।

इसी तरह से विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों की पत्तियों के काढ़े या रसों को रोक कर रखने वाला  एनिमा के रूप में उपयोग किया जाता है जो बहुत ही लाभदायक माना गया है और अनेक प्रकार के रोगों में उपयोगी सिद्ध हुआ है।


अशोक की पत्ती और छाल का एनिमा(Ashoka leaf and bark enema)


अशोक की पत्तियों और छाल को समान भाग में लेकर पानी में उबालें इसके बाद हरी और पीली रंग की बोतलों में यह पानी भर दें और इन दोनों बोतलों को सूर्य के प्रकाश में रख दें। सूर्य तप्त कर दोनों जल को समान मात्रा में लेकर एनिमा करें और रोक कर रखें।इस एनिमा से स्त्रियों के रोग जैसे रक्तप्रदर तथा गर्भाशय से खून बहना आदि समस्याओं को ठीक करने में मददगार माना गया है।

मेहंदी पत्तियों के काढ़े का एनिमा

मेहँदी की पत्तियों का 250 ग्राम काढ़ा बनाकर हरी बोतल में भर दें ।इस बोतल को सूर्य तप्त करके एनिमा का अभ्यास करें और रोक कर रखें।यह अभ्यास आवश्यकतानुसार एक सप्ताह तक किया जा सकता है।इस एनिमा के अभ्यास से बवासीर और बवासीर से खून जाने की समस्या को ठीक करने में लाभदायक माना गया है।

नीम की पत्ती का एनिमा

पेडू में मिट्टी की पट्टी के साथ नीम की पत्तियों के साथ उबले हुए पानी को हरी बोतल में सूर्य तप्त करके एनिमा लें और रोकें रखें।यह एनिमा गर्भ धारण करने में सहायक माना गया है।जिस स्त्री का गर्भ धारण हो रहा हो उसको इस एनीमा से लाभ प्राप्त हो सकता है।


गूलर की पत्ती और जड़ की छाल का एनिमा(Enema of sycamore leaf and root bark)


गूलर की पत्ती और जड़ की छाल का 300 ग्राम काढ़ा बनाकर हरी बोतल में भर लें और इस बोतल को सूर्य तप्त करके एनिमा का अभ्यास करें और रोक कर रखें। इस एनिमा के अभ्यास से गर्मी , सुजाक, घाव, फोड़े आदि समस्ययों को ठीक करने में सहायक माना गया है।

निर्गुण्डी पत्तियों के काढ़े का एनिमा

निर्गुण्डी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीली बोतल में भर दें इसके बाद इसको सूर्य तप्त करके एनिमा लें और रोक कर रखें।निर्गुण्डी पत्तियों के काढ़े का एनिमा

शरीर की समस्त प्रकार की सूजन को कम करने में मददगार साबित होता है।


अरण्ड पत्तों के काढ़े का एनिमा(Enema of decoction of castor leaves)


अरण्ड के पत्तों का काढ़ा बना ले और हरी बोतल में उस काढ़ें को भर दें इस बोतल को सूर्य तप्त करके अरण्ड के बीजों का 150 ग्राम तेल मिलाकर एनिमा लें और रोक कर रखें।इस एनिमा के अभ्यास से पुराने से पुराना कब्ज में राहत मिलेगी, मंदाग्नि, संग्रहणी, हर्निया, अपेंडिसाइटिस, कोलिक पेन में लाभ मिलेगा।


एनिमा के लाभ(Benefits of enema)


एनिमा किसी रोग की दवा नहीं है किन्तु इसके आश्चर्यजनक लाभ देखने को मिलते है लगभग सभी शारीरिक और मानसिक  रोगों में बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है एनिमा हमारे बड़ी आँत की सफाई मात्र करती है किन्तु आँत की सफाई से ही अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों में लाभ मिल जाता है क्योंकि आँत की सफाई से हमारा शरीर निर्मल, रोग रहित, और सुन्दर कांति युक्त दिखने लगता है।आगे एनिमा के अनेक प्रकार के लाभ बताये गये है


एनिमा शरीर को अन्दर से साफ करने में सहायक(Enema helps in cleaning the body from inside)


एनिमा में पानी या तरल पदार्थ को एनस के माध्यम से आँतों के अन्दर डाला जाता है जिससे हमारी आँतें तो साफ होती है साथ साथ पेट और आँतों की सारी गंदगी और बैक्टीरिया शरीर से बाहर निकल जाते है जिससे शरीर निर्मम ,शुद्ध ,कांति युक्त,सुन्दर और स्वस्थ होता है।शरीर का शुद्धीकरण होता है जिससे हम अस्सी प्रतिशत रोगों से अपने आप को बचाने में मदद कर सकते है क्योंकि अधिकतर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती है।


एनिमा से कब्ज में राहत(Relief from constipation with enema)


कब्ज को अधिकतम रोगों का जनक माना गया है, कब्ज से हमारे शरीर में अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक रोग उत्पन्न हो जाते है एनिमा मुख्यतः हमारी बड़ी आँत की सफाई करता है जिससे कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।एनिमा से पानी हम अपनी आँतो में पहुँचाते है यह पानी स्टूल या मल को तरल बना कर एनस के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है जिससे पेट साफ हो जाता है और कब्ज की समस्या से राहत मिल जाती है।इस तरह अपने शरीर और मन को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

एनिमा का लाभ पाचन क्रिया में

एनिमा से हमारे पेट और आँतों की सफाई होती है , मल का निष्कासन हमारी बड़ी आँत से बाहर हो जाता है शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते है। जिससे रक्त शुद्ध होता है और मेटाबोलिज्म ठीक होता है, पाचक रसों का स्राव ठीक से होता है।एनिमा का समय समय पर उपयोग करने से हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता है।


एनिमा रक्त शुद्धि करने में सहायक(Enema helps in blood purification)


एनिमा के माध्यम से आँतों की सफाई होती है आँतों में उपस्थित मल शरीर से बाहर निकल जाता है जिससे हमारा पाचन ठीक होता है जो आहार लेते है वह आहार सही से पाचक रसों के साथ ठीक से कार्य कर सही से पाचन हो जाता है जिससे हमारी छोटी आँत उस भोजन को पोषक तत्व के रूप में ठीक से अवशोषित करती है और रक्त तक पहुँचाती है। बड़ी आँत के सारे टॉक्सिन एनिमा की सफाई से बाहर निकल जाते है जिससे रक्त शुद्ध होता है रक्त शुद्ध होने से व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है साथ साथ उसके त्वचा और चेहरे की कान्ति बड़ जाती है, व्यक्ति सुन्दर और स्वस्थ दिखने लगता है।


एनिमा का लाभ वजन कम करने में(Benefits of enema in weight loss)


कब्ज के कारण हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म स्लो या धीरे हो जाता है जो वजन कम करने में आड़े आता है और वजन को कम नहीं होने देता जो हम खाना खाते है वह पचता तो हे नहीं फैट में बदल जाता है,शरीर के ऊपरी पर्त में फैट जमा होने लगता है जो वजन बढ़ा देता है किन्तु एनिमा से हमारे आँतों और पेट की सफाई होती है, रक्त शुद्ध होता है, पेट में पाचन रसों का स्राव ठीक से होता है, मेटाबोलिज्म ठीक से कार्य करता है, पेट और आँतों का मल शरीर से बाहर निकल जाता है जिससे शारीरिक और मानसिक जो विकार है वो ठीक हो जाते है इस प्रकार हमारा चयापचय क्रिया ठीक होने से धीरे धीरे खाना ठीक से पचने लगता है और जो आहार हमने लिया वह फैट में बदलकर ऊर्जा और शरीर की जो जरूरत होती है उसमे बदल जाता है इसीलिए एनिमा को वजन को कम करने में सहायक माना गया है।


एनिमा कृमि संक्रमण को दूर करने में(Enema to remove worm infection)


हमारे अन्दर बड़ी आँत के समतल या सीधा होने के कारण आँतों में मल जमा हो जाता है आँतों की सतह पर मल की पर्त जमा हो जाती है जो सालों साल साफ नहीं हो पाती जिस कारण उस स्थान पर मल सड़ता रहता है और अनेक प्रकार के बैक्टीरिया, कृमि या कीड़े पैदा हो जाते है जो हमारे शरीर के लिये बहुत ही हानिकारक है और अनेक प्रकार के रोगों को जन्म देते है किन्तु एनिमा एक येसी विधि है जिसके द्वारा अपनी आँत की सफाई आसानी से कर सकते है जिससे आँत की सफाई होने से जो बैक्टीरिया , कृमि और कीड़े अपने अण्डे, बच्चे के सहित डेरा डाले हुए है वो सभी साफ हो जाएँगे और शरीर से बाहर निकल जायेगी या मार जाएँगे जिससे हमारा शरीर स्वस्थ होगा और अनेक रोगों से दूर रहने में सफलता मिलेगी।

एनिमा से ज्वर आदि रोगों से बचाव

यदि कभी आपको महसूस हो की ज्वर आने की संभावना है या कोई बीमारी चल रही हो तो उस समय एनिमा लेने से वह ज्वर या बुखार का खतरा टल जाएगा और यदि आयेगा भी तो जल्दी ठीक हो जाएगा या उस तीव्रता से नहीं आएगा।


एनिमा पीलिया रोग में उपयोगी(Enema is useful in jaundice)


पीलिया या कंवरू रोग में पहले गर्म पानी का एनिमा दें इसके बाद ठंडे पानी का एनिमा दें इससे लाभ पहुँचेगा और रोग को ठीक करने में सहायता मिलेगी।


एनिमा प्रसव में सहायक(Enema help in delivery)


गर्भवती महिला को प्रसव के पूर्व एनिमा देने से प्रसव बड़ा ही सुखदायक होता है।गर्भावस्था के अनेक प्रकार के उपद्रव या समस्या जैसे कै होना, भोजन ठीक से पचना, कब्ज होना, पेट में गैस होना, घबराहट होना आदि समस्याओं को एनिमा के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

एनिमा का लाभ चयापचय में

एनिमा से हमारे शरीर की चयापचय क्रिया बेहतर होती है जिससे शरीर में पाचन क्रिया मजबूत होती है और अनेक प्रकार की समय जैसे पेट का फूलना , गैस बनना, कम होता है।यह विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकाल कर वजन को कम करने में सहायता प्रदान करता है।


एनिमा का गठिया में लाभ(Benefits of enema in arthritis)


जब हमारी आँतों में कब्ज के कारण मल इकट्ठा हो जाता है और यह क्रिया जब लम्बे समय तक चलती रहती है तब पेट में अनेक प्रकार की हानिकारक गैसें उत्पन्न हो जाती है जो धीरे धीरे शरीर में वायु की मात्रा बढ़ा देती है, शरीर में विषाक्त तत्व एकत्र हो जाते है हमारे शरीर की वायु कुपित हो जाती है जिससे गठिया जैसी वात प्रधान समस्याएँ जन्म ले लेती है किन्तु एनिमा हमारे आँतों को शुद्ध करता है एवं मल को आँतों से बाहर करने का कार्य करता है जिससे पेट में हानिकारक गैसें नहीं बनतीं जो गठिया जैसी समस्या का निदान करने में सहायक माना जाता है।


एनिमा का लाभ बवासीर में(Benefits of enema in piles)


जब लम्बे समय तक कब्ज की समस्या बनी रहती है और पेट ठीक से साफ नहीं रहता तब हम मल त्याग करने में जोर लगातें है, आहार में फाइबर कम उपयोग करते है , पानी कम पीना ,अस्थायी जीवन शैली, मोटापा, नींद ठीक से होना , तनाव और गर्भावस्था के दौरान बवासीर की समस्या पैदा हो सकती है इस समस्या को ठीक करने के लिए एनिमा एक महत्वपूर्ण साधन है जो कब्ज को ठीक करदेगा जिससे बवासीर जैसी समस्या से राहत मिल सकती है किन्तु हमें इस समस्या को हमेशा ठीक रखने के लिए अधिक फाइबर युक्त आहार, व्यवस्थित जीवनशैली, मोटापा रहित, पानी का उचित सेवन और शारीरिक श्रम आवश्यक है।


एनिमा का लाभ पुरानी कोष्ठबद्धता और मन्दाग्नि में(Benefits of enema in chronic constipation and dysentery)


एनिमा पुरानी से पुरानी कोष्ठबद्धता और मन्दाग्नि को ठीक करने में सहायक माना गया है यह हमारे आँतों को सफाई ठीक से करता है जिससे कोष्ठबद्धता ठीक होने के साथ साथ हमारी जठराग्नि तीव्र होती है और मन्दाग्नि को ठीक करने में सहायता मिलती है।


एनिमा से रक्त की खराबी ठीक करने में(Enema to cure blood disorders)


एनिमा के अभ्यास से रक्त की खराबी ठीक करने में मदद मिलती है इस अभ्यास से रक्त शुद्ध होता है पेट और आँतें साफ होती है जो भी रक्त की खराबी है इसका समय समय पर अभ्यास करते रहने से रक्त की खराबी दूर हो जाती है।


एनिमा श्वास की बीमारी में(Enema in respiratory disease)


एनिमा श्वास की समस्याओं को भी ठीक करने में सहायक माना गया है।


एनिमा का लाभ सिरदर्द मूर्च्छा चक्कर आने में(Benefits of enema in headache, fainting, dizziness)


एनिमा के उपयोग से सिरदर्द, मूर्च्छा और चक्कर की समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है।


एनिमा का लाभ अफरा में(Benefits of Enema in Afra)


एनिमा का अभ्यास करने से अफरा में लाभ मिलता है।


एनिमा का लाभ खासी में(Benefits of enema in cough)


एनिमा का अभ्यास खासी को ठीक करने में सहायक माना गया है।

एनिमा का  कुछ दिन आवश्यकतानुसार  अभ्यास करने से खासी की समस्या को ठीक करने में लाभ मिलता है।


मुंह से दुर्गन्ध आना(Bad breath)


एनिमा का कुछ समय तक नियमित ओर आवश्यकतानुसार अभ्यास करने से मुंह की दुर्गन्ध आने की समस्या को ठीक करने में लाभ मिलता है क्योंकि यह हमारे पेट और आँतों कि गंदगी या टॉक्सिन को बाहर निकालने का कार्य करता है जिससे संपूर्ण शरीर निर्मल और शुद्ध हो जाता है जिससे हमारे अन्दर की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।


एनिमा का लाभ यकृत विकार में(Benefits of enema in liver disorders)


एनिमा का कुछ समय उचित अभ्यास करने से यकृत विकार संबंधित समस्या में फायदा मिलता है और धीरे धीरे इस समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है।


एनिमा का लाभ शरीर का पीला और निस्तेज हो जाने में(The benefit of enema is that the body becomes pale and dull.)


शरीर के पीला पड़ जाने पर और निस्तेज हो जाने पर एनिमा का अभ्यास कुछ समय तक लेना लाभकारी साबित हो सकता है और कुछ दोनों में इस समस्या को ठीक करें मदद मिल सकती है।


एनिमा का लाभ फोड़े, फुँसी, दाद, खाज आदि चर्म रोगों में(Benefits of enema in skin diseases like boils, pimples, ringworm, scabies etc.)


फोड़े , फुँसी, दाद , खाज आदि प्रकार के चर्म रोगों में भी एनिमा का प्रयोग लाभदायक माना गया है।आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय रूप में प्रयोग किया गया एनिमा कुछ ही समय पश्चात इन चर्म रोगों में फायदा पहुँचाने लगता है और धीरे धीरे रोगों में नियन्त्रण प्राप्त होने लगता है।


एनिमा का लाभ जीभ में लाल छाले पढ़ने पर(Benefits of enema when reading red blisters on tongue)


पेट की गर्मी या टॉक्सिन के इकट्ठे होने से जीभ में  छाले पैदा हो जाते है एनिमा से पेट और आँतों की सफाई ठीक से होती रहती है जिससे जीभ के छालों जैसी समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है।


एनिमा का लाभ स्नायु विकार में(Benefits of enema in nervous disorders)


 स्नायु विकार की समस्या को ठीक करने में एनिमा लाभदायक माना गया है ।एनिमा का चिकित्सकीय तरीके से अभ्यास करने से स्नायु विकार जैसी समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है और कुछ दिनों के अभ्यास से ही रोग में फायदा मिलने लगता है और धीरे धीरे ये समस्या ठीक हो जाती है।


एनीमा का लाभ तनाव और थकान को कम करने में(Benefits of enema in reducing stress and fatigue)


एनिमा के अभ्यास से तनाव और थकान को कम करने में लाभ मिलता है।


एनिमा का लाभ विचारों को शान्त करने में(Benefits of enema in calming thoughts)


एनिमा के अभ्यास से मन शांत होता हे विचार कम उत्पन्न होते है , सकारात्मक विचार को उत्पन्न करने में मदद मिलती है, मन में स्थिरता लाने में सहायता मिलती है।


एनिमा का लाभ एकाग्रता बढ़ाने में(Benefits of enema in increasing concentration)


एनिमा से हमारा मन शांत होता है, अनावश्यक विचार कम करने में मदद मिलती हमारे अन्दर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते है आँतों से मल का निष्कासन हो जाता है जिसका प्रभाव हमारे तंत्रिका तंत्र में पड़ता इससे हमारे मानसिक स्वस्थ में स्थिरता आती है, तनाव कम होता है विचार स्थिर होने लगते है जो  एकाग्रता बढ़ाने में सहायक माना गया है।


एनिमा का अनिद्रा में लाभ(Benefits of enema in insomnia)


एनिमा का प्रभाव मुख्यतः शरीर को शुद्ध और निर्मल करने देखा गया है किन्तु शरीर का जुड़ाव हमारे मन से है इसलिए एनिमा का महत्व हमारे मानसिक स्वास्थ्य में भी देखने को मिलता है यह हमारे तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव डालता है जिससे हमारे अन्दर से चिन्ता, तनाव, अवसाद और अज्ञान को दूर करने में सहायता करता है जिससे मन शान्त और स्थिर होता है चित्त में स्थिरता आती है, अनावश्यक विचार कम आते है एकाग्रता बढ़ती है जिससे समय पर नींद आने लगती है और अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है।


एनिमा का लाभ ऊर्जा बढ़ाने में(Benefits of enema in increasing energy)


एनिमा हमारे शारीरिक और मानसिक स्वस्थ को बढ़ाकर ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है यह हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है हमें अन्दर से मजबूत करता है इससे शरीर कि और मन की आन्तरिक शक्ति बढ़ती है जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाता है और हमारे अन्दर ऊर्जा बढ़ाने में मददगार साबित होता है।


एनिमा सर्व रोग नाशक(Enema cures all diseases)


एनिमा का अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक रोगों को ठीक करने के कारण या सर्व रोगनाशक गुण के कारण इसका नाम दवाउलमुबारक भी कहा जाता है जिसका अर्थ है सभी रोगों की दवा।इसीलिये योग चिकित्सा, आयुर्वेद चिकित्सा और नेचुरोपैथी चिकित्सा सभी में एनिमा का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है और समय समय पर ये चिकित्सायें एनिमा का उपयोग आवश्यकता पड़ने पर करती रहती है जिससे लोगों को अनेक प्रकार के असाध्य रोगों से छुटकारा दिलाने में ये चिकित्सायें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।


एनिमा के नुकसान(Disadvantages of enema)


एनिमा को यदि सावधानी और ध्यान से किया जाये तो इसके अनेक लाभ है किन्तु यदि असावधानी पूर्वक या बिना विशेषज्ञ के जब हम करते है और हमें चिकित्सा पर पूरा ज्ञान नहीं होता तब लाभ के स्थान पर अनेक प्रकार की हानि भी देखने को मिलती है इसीलिए उपचार करने के पहले चिकित्सा के विषय में संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है या जब तक पूर्ण ज्ञान और जानकारी हो जाये चिकित्सा या उपचार किसी चिकित्सक या विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिये और जब पूर्णतः ज्ञान और जानकारी हो जाये फिर आप घर में स्वयं अभ्यास कर सकते है।यदि ध्यान पूर्वक अभ्यास किया जाये तो अनेक प्रकार के नुकसान देखने को मिलते है आगे इस लेख में बताये गये है


•  यदि एनिमा का अभ्यास सावधानी और ठीक तरीके से किया जाये तो गूदा में घाव या चोट लग सकती है जिससे सर्जरी तक की जरूरत पड़ सकती है।


•  एनिमा लेने से कभी कभी पेट में दर्द और भारीपन महसूस हो सकता है।


•  यदि कोई व्यक्ति की बड़ी हुई और फैली हुई वृहद् आंत्र जिसमे वेध होने का  खतरा अधिक हो उस परिस्थिति में एनिमा के अभ्यास से बचना चाहिए 


•  लगातार गर्म पानी से एनिमा लेने से आँतों में नुकसान पहुँच सकता है और आँतें कमजोर हो सकती है।


•  एनिमा लेने के दौरान यदि एनिमा नोजल में ठीक से तेल, घी या चिकनाई नहीं लगाया तो गुदाद्वार से रक्त स्राव हो सकता है जो काफी अधिक हानि कारक हो सकता है।


•  जिन व्यक्तियों को कोलोरेक़्टल कैंसर की समस्या से पीढ़िया है तो उस परिस्थिति में एनिमा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।


•  गुदाद्वार में यदि कोई संक्रमण या चोट है तो उस समय एनिमा लेना हानिकारक हो सकता है


•  गुदा में दरार(Anal fissure) है तो एनिमा ले तो बेहतर है।


•  लगातार बिना जरूरत के अधिक समय तक एनिमा देने से शरीर की आदत बन सकती है इस लिये नुकसान हो सकता है इसीलिए जब शरीर की आवश्यकता है तब उचित मार्गदर्शन में एनिमा का अभ्यास करें।


•  गुदा और आँत के धोने से हमारे शरीर के पोषक तत्व और तरल पदार्थ के सामान्य अवशोषण की क्रिया में हस्ताक्षेप हो सकता है जिससे रासायनिक असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है।


•  छोटे बच्चों के लिए ज्यादा ठण्डे पानी का एनिमा नुकसानदायक हो सकता है।


•  एनिमा के अभ्यास से कभी कभी मतली की समस्या भी देखने को मिल सकती है।


•  एनिमा से कभी कभी उल्टी की समस्या भी देखने को मिल सकती है।


•  जिस रोग में पतले दस्त लगते हो और रोगी कमजोर हो उस परिस्थिति में एनिमा देने से रोगी को  नुकसान पहुच सकता है।


•  एनिमा के अभ्यास से कुछ लोगों को दस्त लगने की समस्या भी सामने सकती है।


•  एनिमा में साबुन, ग्लिसरीन या अन्य औषधियाँ मिलाकर लेने से अवश्य नुकसान पहुचेगा और एनिमा की आदत भी पड़ सकती है।


एनिमा का हमारे शारीरिक अंगों पर प्रभाव(Effect of enema on our body organs)


•  एनिमा से हमारी आँतों और पेट की सफाई ठीक से हो जाती है जिससे शुद्ध रक्त बनने में मदद मिलती है और पूरे शरीर में रक्त संचरण ठीक से होता है जिससे शरीर का टॉक्सिन बाहर निकल जाता है और शरीर को सही तरीके से पोषण मिलता है जिसकी आवश्यकता रहती है।


•  एनिमा के उचित  अभ्यास से हमारी आँतें मजबूत और शक्तिशाली होती है जो आँतों के फैलने और संकुचित होने की प्रक्रिया में मदद करता है।


•  शरीर में जमा पुराना मल आँतों से बाहर निकल जाता है जिससे पेट ओर आँतों की ठीक से सफाई हो जाती है जिससे खुल कर भूख लगती हैशरीर को ठीक से पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है और शरीर में स्फूर्ति और ताकत महसूस होती है।


•  एनिमा को समस्त रोगों का नाश करने वाला और समस्त रोगों को ठीक करने वाला माना गया है इसीलिए इसको बहुत सारे लोग प्राकृतिक चिकित्सा का ब्रह्मात्र मानते है।


•  एनिमा से आँतों और पेट की सफाई होने से पाचन प्रणाली में निकलने वाले पाचक रसों का ठीक से स्राव होने लगता है जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है , पाचन क्रिया ठीक से होने लगती है जो शरीर को स्वस्थमजबूत और निरोग्य रखने में मददगार साबित होता है।


•  एनिमा के अभ्यास से शरीर के समस्त अंगों में कहीं  कहीं से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभाव पड़ता ही है क्योंकि शरीर की गन्दगी और मल कब्ज का होना लगभग अस्सी प्रतिशत बीमारियों का जनक माना गया है यदि कब्ज कि समस्या नहीं होगी तो हम इन सभी रोगों से बचे रहेंगे और स्वस्थ बने रहेंगे।


सावधानियाँ(Precautions)


एनिमा का उपयोग यदि सही जानकारी और सावधानी से उचित तरीके से शरीर की आवश्यकतानुसार किया जाये तो यह अनेक प्रकार के रोगों को ठीक करने में मदद करता है यह  केवल शारीरिक बल्कि मानसिक दृष्टि से भी लाभदायक माना गया है जो हमें निरोग रखते हुए हमारी कार्य क्षमता में वृद्धि करता है जो स्वस्थ जीवन जीने के लिये आवश्यक माना गया है। आगे इस लेख में एनिमा की कुछ सावधानियाँ है जिसको प्रत्येक अभ्यासी को पालन करना चाहिए जिससे एनिमा का सतप्रतिशत लाभ उठा सकें


•  खाना खाने के तीन घंटे तक एनिमा नहीं लेना चाहिए नहीं तो इससे हमारे पाचन क्रिया में  बुरा प्रभाव पड़ सकता है।


•  एनिमा लेने के पश्चात कम से कम पंद्रह से बीस मिनट विश्राम करना चाहिए जिससे आँतों को पूर्णतः विश्राम मिल सके।


•  जिस व्यक्ति को पतले दस्त या कमजोरी है उसको इस स्थिति में एनिमा नहीं देना चाहिये।


•  एनिमा लेने के तुरन्त बाद खाना नहीं खाना चाहिए कुछ समस्या पश्चात ही भोजन करना चाहिए।


•  एनिमा का पानी बहुत अधिक गर्म नहीं होना चाहिये शरीर के ताप के बराबर होना चाहिए।


•  यदि कोई व्यक्ति की बड़ी हुई और फैली हुई वृहद् आंत्र जिसमे वेध होने का  खतरा अधिक हो उस परिस्थिति में एनिमा के अभ्यास से बचना चाहिए |


•  गर्म पानी का एनिमा लम्बे समय तक नहीं देना चाहिए नहीं तो आँतें कमजोर हो सकती है और उनकी शक्ति कम हो सकती है।


•  ज्वर के समय एनिमा का पानी हल्का गुनगुना होना चाहिये।


•  एनिमा से पेट पर पानी उतना ही चढ़ाना चाहिए जिससे वह व्यक्ति पानी को कुछ समय के लिए रोक ले अन्यथा एनिमा को कोई लाभ नहीं होगा।


•  एनिमा अभ्यास में अनावश्यक कोई भी दवा या अप्राकृतिक चीजे नहीं मिलना चाहिए शुद्ध पानी का एनिमा सबसे बेहतर माना गया है।


•  एनिमा लेते समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।


•  एनिमा पॉट ठीक से साबुन से गर्म पानी के साथ धुलना चाहिए जिससे उसने गंदगीबैक्टीरिया या किसी भी प्रकार का संक्रमण होने के खतरे  रहें।


•  एनिमा हमेशा अपना निजी होना चाहिए किसी अन्य व्यक्त का उपयोग किया हुआ  उपयोग में लायें।


•  यदि किसी व्यक्ति की आँतों में सूजन है तो उस स्थिति में एनिमा का अभ्यास नहीं करना चाहिये।


•  एनिमा के पानी में साबुन , ग्लिसरीन या अन्य प्रकार की दवा उपयोग करने से हानि हो सकती है और एनिमा कि आदत पड़ सकती है।


•  शुरुआत में और रोगियों के एनिमा लेने की जगह के पास टॉयलेट होना चाहिये क्योंकि कभी कभी एनिमा के बाद पानी को रोकना मुस्किल हो सकता है जिससे उनके कपड़े खराब हो सकते है और एनिमा लेने के स्थान पर गंदगी फैल सकती है।


•  यदि आँतों में घाव है तो एनिमा  ले और यदि बहुत ही आवश्यक है तो एनिमा पॉट  को बहुत नीचे रखकर पतली रबर की नली से धीरे धीरे एनिमा का पानी आँतों में चढ़ाये ताकि घाव में चोट  पहुँचे और  ही किसी तरह की छती हो।


•  एनिमा लेने के पश्चात पंद्रह से बीस मिनट बाद स्नान बनाना चाहिए जो उचित माना गया है।


•  अधिक ठण्डे पानी का एनिमा नहीं लेना चाहिए।


•  सुबह शाम शौच के पश्चात एनिमा लेना अधिक बेहतर माना गया है।


•  यदि पेट साफ रहे तो एनिमा लेना बंद कर दें।


•  एनिमा लेने के पहले दो या तीन ग्लास हल्का गुनगुना या ताजा पानी   सेवन कर लेना चाहिए जिससे एनिमा में अधिक लाभ मिलेगा और सफाई ठीक से होगी।


•  छोटे बच्चों को ज्यादा ठण्डे पानी का एनिमा नहीं देना चाहिए।


•  एनिमा नोजल में घीतेल या कोई चिकनाहट लगा लें ताकि एनिमा नोजल या नली को गुदाद्वार में प्रवेश कराते वक्त कोई चोटछती या दर्द  हो और आसानी से नोजल अन्दर प्रवेश कर जाये।


विशेष कथन(Special statement)


👉🏻 कुछ लोग एनिमा लेने से इसलिए डरते है कि वह सोचते है कि एनिमा लेने से एनिमा लेने की आदत पड़ जाएगी और फिर हमेशा एनिमा से ही उन्हें शौच होगा बिना एनिमा के शौच नहीं हो पायेगा।किंतु यह कथन उनका पूर्णतः भ्रम है क्योंकि आवश्यकतानुसार एनिमा लेने पर विविध एनिमा लेने की आदत नहीं पड़ती और बाद में बिना एनिमा लिए भी शौच हो जाता है।


👉🏻 कुछ लोगों का मानना है कि एनिमा लेना अप्राकृतिक है।ऊपरी दृष्टि से देखने पर अवश्य सच लगती है किन्तु आँत में पानी चढ़ा कर आँत को साफ करना अप्राकृतिक है तो मुँह को साफ करना , कुल्ला करना, नहाना धोना , अनेक प्रकार का अप्राकृतिक खाना खाना सब कुछ अप्राकृतिक माना जाये।इसके अलावा जहरीली दस्तावर दवा खिलाकर टॉयलेट जाना, अनेक प्रकार के चूर्ण पेट साफ करने में उपयोग करना , अनेक दवाऐ लेना पेट साफ के लिये ये सभी प्रकार की तकनीक एनिमा से  कहीं ज्यादा अप्राकृतिक, अस्वाभाविक एवं हानिकारक तरीका है वास्तव में ये सभी विधी अप्राकृतिक है एनिमा को तो हम सुरक्षित और प्राकृतिक समझ सकते है जिसको चिकित्सकीय ढंग से लेने पर किसी भी तरह का नुकसान या हानि नहीं होती है।


👉🏻 कुछ लोग यह भी कहते है कि एनिमा लेने से व्यक्ति कमजोर हो जाता है और व्यक्ति में कमजोरी जाती है किन्तु येसे लोगों को हम बताना चाहेंगे की एनिमा का पानी शरीर के रक्त को बाहर नहीं निकाल फेकता बल्कि शरीर के अन्दर आँतों में जो मल भरा पड़ा है उसको शरीर से बाहर करता है और शरीर को निर्मल, शुद्ध, हल्का, फुलका  और स्वस्थ बनाने का कार्य करता है। इस परिस्थिति में एनिमा से कमजोरी आने का तो कोई कारण ही नहीं हो सकता।



एनिमा को लेकर कुछ पूछे जाने वाले प्रश्न

Some frequently asked questions regarding enema


प्र.1.क्या घर में एनिमा करना सुरक्षित होता है?

Is it safe to do enema at home?


. उत्तर है हाँ।घर पर एनिमा करना तभी सुरक्षित होता है जब एनिमा की पूर्ण जानकारी हो आपको।सर्वप्रथम एनिमा किसी विशेषज्ञ की देख रेख में करना चाहिए चाहे वह अभ्यास घर में हो या किसी चिकित्सालय में हो।एनिमा किस उद्देश्य से लेना है उसका सही जानकारी आवश्यक है यदि आपको एनिमा के विषय में जानकारी हे तो आप घर में भी ले सकते है सुरक्षित तरीके से एनिमा किन्तु घर में एनिमा पानी से लेना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार की हानि की गुंजाइश रहे एनिमा एक  प्राकृतिक चिकित्सा है। सावधानीपूर्वक किया गया एनिमा पूर्णतः सुरक्षित है घर में हो या बाहर हो इसलिए आप घर में एनिमा ले सकते है।


प्र .2.एनिमा कब करना चाहिए?

When should enema be done?


. जब कब्ज है और पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो एनिमा का अभ्यास किया जा सकता है।एनिमा का अभ्यास सबसे बेहतर सुबह खाली पेट माना गया है शाम में भी खाली पेट होने पर एनिमा का अभ्यास कर सकते है। खाना खाने के तीन घण्टे बाद एनीमा का अभ्यास किया जा सकता है वैसे एनिमा शौच जाने  के पश्चात करें तो बेहतर है यदि कब्ज है पेट साफ नहीं हो रहा तो एनिमा ले सकते है।


प्र .3.पहली बार में कितना द्रव्य एनिमा में लेना चाहिए ?

How much liquid should be taken in enema for the first time?


 . हमने इस लेख में एनिमा के द्रव्य का उम्र के अनुसार प्रतिशत बताया है।वैसे सामान्य व्यक्ति एनिमा में पहली बार तरल द्रव्य तीन सौ से चार सौ ग्राम उपयोग कर सकते है किन्तु समय के अनुसार यह मात्रा बदल भी सकती है इसीलिए बेहतर होगा की आप किसी विशेषज्ञ से पहले परामर्श ले कि क्या समस्या है यदि समस्या नहीं है तो किस उद्देश्य से एनिमा ले रहे है वो सारी जानकारी यदि होगी चिकित्सक के पास तो वो उचित परामर्श दे सकेंगे।


प्र .4. एनिमा के बाद क्या खायें?

What to eat after enema?


. एनिमा संपन्न होने के पश्चात कम से कम पंद्रह से बीस मिनट आराम करें आँतों को पूरा विश्राम दें इसके बाद आप फाइबर युक्त सुपाच्य हल्का आहार ग्रहण कर सकते है जिससे पचने में आसानी रहे और एनिमा का जो उद्देश्य है वह पूर्ण हो सके।


प्र.5. एनिमा के लिये अपने आपको कैसे तैयार करें?

How to prepare yourself for an enema?


.एनिमा का अभ्यास करने से पहले खाने का कम से कम तीन से चार घंटे का अंतराल रखें, शौच के पश्चात एनिमा लेने से पहले दो से तीन ग्लास हल्का गुनगुना या ताजा पानी पी ले इसके बाद एनिमा लें और कुछ समय एनीमा द्वारा लिया गाया पानी को रोककर रखें जिससे मल नरम हो जाये और अधिक से अधिक आँतों की सफाई हो सके इसके बाद टॉयलेट जाये और फिर थोड़ी देर विश्राम करें टॉयलेट में मल त्याग करते समय किसी भी प्रकार का जोर लगाये स्वाभाविक तरीके से मल त्याग होने दें


प्र.6. खुद एनीमा कैसे लगाएं?

How to give yourself an enema?


. एनिमा क्रिया एक प्राकृतिक क्रिया है जो व्यक्ति की जरूरत के अनुसार लगाया जाता है और यह अनेक प्रकार का होता है सामान्य तौर पर सबसे प्रचलित एनिमा पानी वाला है और सबसे सुरक्षित भी माना गया है इसमें एक एनिमा पॉट होता है उसके साथ एक नली होती है और उसने एक एनिमा नोजल लगा होता है इसको ठीक से धुल कर जहां आपको एनिमा लेना हो उस स्थान पर  तीन से चार फिट की उचाई में दीवार पर किसी कील में टांग दें जिस तरफ आपके नितम्ब हो पेट के बल या दाहिने या बाये करवट ले कर लेट जाये जो आपको आसान लगे  एनिमा पॉट में हल्का गुनगुना पानी पहले से भर लें पानी भरते समय एनिमा बटन बंद रखें लेटने के पश्चात एनिमा नोजल को अपने गुदाद्वार के अन्दर डाले दो से तीन इंच और नली का बटन खोल दें जिससे आँतों में पानी प्रवेश करने लगेगा गुदाद्वार के माध्यम से पानी पाच सौ से छः सौ ग्राम ही प्रारंभ में ले जिसको आप आसानी से रोक सके कुछ समय के लिए जैसे एनिमा का पानी समाप्त हो जाये एनिमा नली का बटन बंद कर दें और नोजल को बाहर निकाल दें कुछ समय तक लेते रहे और पेट को दाहनी से बाई मलें इसके बाद बाई से दाहिने की तरफ जिससे आँतों में फसा कठोर मल नरम पड़ जाएगा और शरीर से बाहर निकल जाएगा जिससे आँतों कि सफाई आसानी से हो जाएगी 


दूसरे प्रकार के एनिमा में तेल को इंजेक्शन के द्वारा अपने गुदाद्वार में डाला जाता है और कुछ समय रोक कर दस से बारह मिनट बाद जैसे ही मल नरम हो जाता है तेल की चिकनाहट से मल गुदाद्वार से बाहर निकल जाता है जिससे पेट और आँतों को साफ करने में मदद मिलती है एनिमा का अभ्यास पूरी तरह से सुरक्षित और लाभप्रद है जो प्रत्येक व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार ले सकता है।


प्र.7. एनिमा का असर कितनी देर में होता है?

How long does it take for the enema to take effect?


. एनिमा का प्रभाव तीन से चालीस मिनट बाद पड़ने लगता है  


प्र.8. आप एक हफ्ते में कितने एनीमा कर सकते हैं?

How many enemas can you do in a week?


. एनिमा का प्रयोग वैसे तो प्राकृतिक है किन्तु एनिमा भी आवश्यकतानुसार होना चाहिए जब शरीर कि जरूरत हो तभी एनिमा का अभ्यास बेहतर माना गया है एनीमा को सप्ताह में दो से तीन बार लिया जा सकता है पानी का एनिमा सबसे सुरक्षित माना गया है लम्बे समय तक रोज रोज एनिमा लेना हानि कारक हो सकता है और व्यक्ति की आदत पड़ सकती है।


प्र.9. एनीमा का उपयोग कब नहीं करना चाहिए?

When should an enema not be used?


. वैसे तो एनिमा का लाभ बहुत ही उपयोगी माना गया है किन्तु कुछ परिस्थितियों में एनिमा का उपयोग नहीं करना चाहिए जैसे की जिन व्यक्तियों को कोलोरेक़्टल कैंसर की समस्या से पीढ़िया है तो उस परिस्थिति में एनिमा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।यदि कोई व्यक्ति की बड़ी हुई और फैली हुई वृहद् आंत्र जिसमे वेध होने का  खतरा अधिक हो उस परिस्थिति में एनिमा के अभ्यास से बचना चाहिए और यदि किसी व्यक्ति की आँतों में सूजन है तो उस स्थिति में एनिमा का अभ्यास नहीं करना चाहिये।


प्र. 10.एनीमा के बाद मुझे क्या पीना चाहिए?

What should I drink after an enema?


. एनिमा अभ्यास के बाद हल्का गुनगुना पानी पिया जा सकता है।


प्र.11. क्या गर्म पानी के एनीमा सुरक्षित हैं?

Are hot water enemas safe?


.अधिक गर्म पानी का एनीमा नहीं लेना चाहिए क्योंकि गर्म पानी का एनिमा लेने से आँतें कमजोर हो सकती है और उनकी शक्ति कम हो सकती है। हल्का गुनगुना पानी का एनिमा लेना ठीक माना गया है वो भी कुछ समय तक ले सकते है सप्ताह में एक या दो बार  किन्तु ताजा पानी का एनिमा सबसे प्रभावी माना गया है इसमें आदत भी पड़ने का खतरा नहीं रहता और आँतों की शक्ति बड़ती है आँतें मजबूत होती है आँतों की कार्यक्षमता बड़ती है इसीलिए ताजा पानी का एनिमा सबसे बेहतर तरीका माना गया है।


प्र.12. क्या एनीमा नुकसान पहुंचा सकता है?

Can enemas cause harm?


.वैसे देखा जाये तो एनिमा के कोई नुकसान नहीं है क्योंकि यह प्राकृतिक तकनीक है किन्तु जब व्यक्ति घर में करते है तो एनिमा की जो सावधानियाँ है उसको ठीक से ध्यान नहीं देते या सही तकनीक से अभ्यास नहीं करते या कुछ येसे पदार्थों का एनीमा में उपयोग करते है जो हानि कारक है तभी नुकसान हो सकता है या कुछ लोगों को एनिमा करने की सलाह दी गई है जब ये लोग करते है तो नुकसान हो सकता है अन्यथा जरूरत के अनुरूप किया गया एनिमा का कोई भी नुकसान नहीं देखने को मिलता।


प्र.13. क्या आप लगातार 2 पानी के एनीमा कर सकते हैं?

Can you do 2 water enemas in a row?


. नहीं हमें एक दिन में एक प्रकार के पानी का ही एनिमा करना चाहिये।


प्र.14. एनीमा से पहले क्या नहीं खाना चाहिए?

What not to eat before an enema?


.एनिमा लेने सेएक दिन पहले से ही गेहूं की रोटी,मैदा, मास मछली, अण्डा आदि खाने से बचें और कॉफी , चाय और सराब के सेवन से बचना चाहिए।इसी प्रकार एक दिन एनिमा के पश्चात भी खाने और पीने का परहेज और ध्यान रखें।


प्र.15. एनीमा से एक रात पहले मुझे क्या खाना चाहिए?

What should I eat the night before an enema?


. एनिमा के एक रात पहले दलिया, खिचड़ी या अधिक फाइबर युक्त आहार लेना बेहतर माना गया है जिससे एनिमा का अभ्यास सही से हो सके और पूर्णतः लाभ मिल सके।


प्र. 16.एनीमा बच्चों के लिए सुरक्षित हैं?

Are Enemas Safe for Children?


.बच्चों को एनिमा तभी देना चाहिए जब डॉक्टर ने परामर्श दिया हो या उस परिस्थिति में जब बच्चे को बहुत अधिक कब्ज की समस्या हो उस समय भी डॉक्टर के सलाह के बिना खुद एनीमा दें क्योंकि थोड़ी सी भी भूल बच्चों के लिये नुकसान पहुँचा सकता है।इसीलिए बच्चों के एनिमा के लिए किसी विशेषज्ञ के देख रेख में अभ्यास कराये तो बेहतर होगा आपके लिए और बच्चों के लिए भी।


Previous Post Next Post