हमेशा निरोग रहने के लिए कुछ उपयोगी सुझाव

व्यक्ति को यदि हमेशा स्वस्थ और निरोग रहना है जिससे डॉक्टर के पास न जाना पड़े और हमेशा खुश बने रहें तो कुछ महत्वपूर्ण नियम अपने जीवन में अपनाने पड़ेंगे जो जीवन को स्वस्थ बनाने में सहयोग प्रदान करेंगे क्योंकि स्वस्थ रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है स्वस्थ केवल एक पहलू पर नहीं होना चाहिए अर्थात् यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ और बलवान दिखायी दे रहे है और मानसिक रूप से आप अस्वस्थ है तो वह अपना स्वस्थ होना नहीं माना जाएगा स्वस्थ व्यक्ति वह हैं जो शारीरिक स्वस्थ होने के साथ साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ और निरोग हो शरीर और मन दोनों ही  बराबर क्रियाशील हों तभी स्वस्थ माना जाएगा।आज के युग में जो व्यक्ति स्वस्थ है वो सबसे बड़ा धनवान है यदि व्यक्ति समझो स्वस्थ है तो दुनिया की प्रत्येक कार्य को और अपने उद्देश्य को पूर्ण कर सकता है किन्तु यदि अस्वस्थ है तो पैसा रुपए और धनवान होते हुए भी वह न तो आपने कार्य कर सकता और न ही खुश रह सकता है इसीलिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए कुछ अपने दिनचर्या और ऋतुचर्या में उपयोगी नियम और सुझाव इस लेख में बताये गये है जो बहुत ही उपयोगी माने गये है:

सर्वप्रथम हमें शाम को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए जो हमारी दिनचर्या का प्रथम महत्वपूर्ण नियम माना गया है क्योंकि यदि हम समय से सोयेंगे और समय से सुबह उठेंगे तो अन्य कार्य भी समय से होंगे जो हमारे शरीर के अंगों के लिये और शारीरिक मानसिक विकास और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक माने गये है।


•सुबह उठने के बाद हल्का गुनगुना पानी बासी मुँह दो से तीन ग्लास या अपनी क्षमतानुसार लें जो बहुत ही आवश्यक है क्योंकि पानी जब ठीक से पियेंगे तो पेट और बड़ी आँत ठीक से साफ होगी जिससे हमारे अन्दर जो मल है वो शरीर से बाहर निकल जाएगा और स्वस्थ जीवन के लिए उपयोगी होगा।


•पानी पीने के कुछ समय बाद शौच के लिए जाएँ जिससे हमारी बड़ी आँत ठीक से साफ हो सके और पेट का मल पूर्णतः बाहर निकल सके जो निरोग रहने के लिए आवश्यक है।


•अपनी शरीर की शुद्धि क्रियाओं के पश्चात व्यायाम करे। व्यायाम में आप टहल सकते है, दौड़ सकते है , योगा अभ्यास कर सकते है।


•योग अभ्यास हमारे जीवन को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है क्योंकि इसका अभ्यास करने से हमें आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ साथ हमारे शरीर में वैज्ञानिक प्रभाव भी देखें गये है जो स्वस्थ  रहने के लिए बहुत ही आवश्यक है।आसन हमारे शरीर में रक्त संचरण करता है, हड्डियों को मजबूत करता है, मांसपेशियों को दुरुस्त और मजबूत बनाता है, शारीरिक ताकत बढ़ाता है, जॉइंट मजबूत और लचीले बनते है शरीर लचीला बनता है,शरीर से टॉक्सिन और विषाक्त तत्वों को रक्त के माध्यम से बाहर निकालने में मदद मिलती है जो स्वस्थ रखने के लिए उपयोगी है और त्वचा में चमक और सुंदरता  बढ़ती है , प्राणायाम करने से ऑक्सीजन अधिक मात्रा में फफड़ों में पहुँचती है जिससे हमारे श्वसन तंत्र से संबंधित अंग जैसे की फफड़ें , डायफ्रॉम श्वसन नलिकाएँ मजबूत होती है अधिक मात्रा में ऑक्सीजन जाने के कारण रक्त शुद्ध होता है , रक्त के माध्यम से शुद्ध ऑक्सीजन हमारे संपूर्ण शरीर में पहुँचती है यह प्राण ऊर्जा हमारे शरीर को पोषण प्रदान करती है जिससे शरीर क्रियाशील और गतिशील रहता है जो स्वस्थ और निरोग रखने में सहायक माना गया है प्राणायाम हमारे प्राण शक्ति या सांस को नियंत्रण करने में सहायता करता है जो हमारे आयु को बढ़ाने में सहायक माना गया है। बंध हमारे शरीर की ऊर्जा को बांधने का कार्य करता है शरीर से को ऊर्जा बाहर निकल कर बरबाद हो रही है उसको रोकने का कार्य करता है और सुरक्षित करने में सहायक है जो स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है।मुद्रा अभ्यास से प्राण ऊर्जा की जिन अंगों में जरूरत है वहाँ ऊर्जा को पहुँचाने का कार्य करती है जिससे शारीरिक और मानसिक विकास हो सके और प्राण ऊर्जा शरीर के समस्त अंगों में पहुँच सके क्योंकि जब शरीर के अंगों में ऊर्जा की कमी या अधिकता हो जाती ही तो उन अंगों में रोग उत्पन्न हो जाता है इसलिए शरीर के सभी अंगों में ऊर्जा का सन्तुलित होना आवश्यक है। ध्यान का अभ्यास हमारे मानसिक विकास के लिए आवश्यक है क्योंकि अधिकतर समस्याएं मानसिक रूप से प्रारंभ होती है और फिर धीरे धीरे शरीर में उनका प्रभाव देखा गया है। तनाव , चिंता , नकारात्मक सोच और अवसाद से अनेक प्रकार के मानसिक रोग उत्पन्न हो जाते है और ये मानसिक रोग ही शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकते है।ध्यान हमारे मन को शांत करता है ,विचार स्थिर होते है जिससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है।मन एकाग्र होने से कोई भी कार्य है उसको संपन्न करने में सहेजता होगी।आध्यात्मिक उन्नति के लिए ध्यान बहुत ही उपयोगी माना गया है।योग अभ्यास से हम शारीरिक और मानसिक दोनों ही पहुलुओं में स्वस्थ रह सकते है।इसलिए योग अभ्यास नियमित रूप से अवश्य करें।


• स्वस्थ रहने के लिए सन्तुलित आहार अपने भोजन में अवश्य शामिल करें।


•अपने आहार में अधिक से अधिक मात्रा में फाइबर शामिल करें जो आसानी से पच सके और पाचन क्रिया में उपयोगी हो।


•हमेशा सुपाच्य भोजन अपने आहार में शामिल करें।


•प्रत्येक दिन तीन से चार लीटर पानी पीने की कोशिश करें जिससे शरीर से अनावश्यक विषाक्त तत्व और टॉक्सिन बाहर निकल सकें जो स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते है।


•तनाव से दूर रहें क्योंकि तनाव अनेक रोगों का कारण बन सकता है।


•शरीर की आवश्यकतानुरूप नींद लें , प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता अलग अलग हो सकती है।नींद का हमारे स्वस्थ जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है और स्वस्थ रहने के लिए बहुत ही आवश्यक है।इसलिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना जरुरी है।


•व्यक्ति को अपनी शारीरिक और मानसिक जरूरतों को समझना चाहिए जो स्वास्थ्य के लिए अनुकूल हो।


•नियमित रूप से धूप में बैठें जो हमारे अन्दर अनेक प्रकार के बैक्टीरिया को नष्ट करने ,रक्त संचरण करने में सहायक और धूप से शरीर के लिए आवश्यक विटामिन डी प्राप्त होती है।


•सुबह का नाश्ता जल्दी लें और रात का खाना जल्दी खाने का प्रयास करें।

खाना खूब चबा चबा कर खायें।


•खाना खाने के बाद एक से डेढ़ घंटे पानी नहीं पीयें जिससे पाचन ठीक से हो सके।


•रात का खाना लेने के पश्चात थोड़ा सा टहलें।


•पानी सिप सिप करके पिये।


•प्रत्येक दिन ताजे मौसमी फलों का सेवन करें।


•अधिक मात्रा में हरी सब्जी और सलाद अपने आहार में सामिल करें।


 हमारे शरीर में चौदह प्रकार के वेग पाये जाते है जिनको रोकने से अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होने का कारण बन सकते है।ये वेग निम्न है (1) प्यास (thirst), (2) नींद आना (sleep), (3) भूख (hunger), (4) छींक (sneeze),(5) मल निष्कासन (stool excretion), (6) मूत्र निष्काषन (urine excretion),(7) अपान वायु या पादना (Apana Vayu or farting) (8) हंसना (laughing) (9) खांसी (coughing). (10) हिचकी आना (hiccups),(11) रोना (crying), (12) डकार आना (belching), (13) जम्हाई लेना (Yawning), (14) वीर्य (semen) इत्यादि 14 प्रकार के वेग हैं जिनको कभी नहीं रोकने का प्रयास करना चाहिए।


•अपने आहार में ड्राईफ्रूट्स सामिल करें।


•गेहूं के आटे को बिना छाने उपयोग में लायें जिससे पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिल सके, खाने में मोटा दाने का आटा उपयोग करें।


•डिनर हमारा बहुत ही हल्का सुपाच्य होना चाहिए जो आसानी से पच सके।


•खाने में नमक और चीनी का उपयोग कम से कम करें ।


•सफेद नमक के स्थान पर सेंधा या काला नमक का उपयोग करें ।


•खाने में चीनी के स्थान पर गुड या खाँड का प्रयोग करें।


•स्नान के बाद खुरदरे तौलिये से संपूर्ण शरीर को रगड़ें जिससे शरीर के रोम छिद्र खुल जायें।


•खाना सन्तुलित खाये जितना शरीर के पोषण के लिये आवश्यक है न अधिक खाये न कम खाये।


•फ्रूट और जूस का सेवन सुबह करें।


•छाछ और दही का उपयोग दोपहर के भोजन में करें।


•दूध रात में सोने से पहले लें।


•रात में सलाद न खाए।


•डिनर में किसी भी प्रकार की दालों का सेवन न करें।


•खट्टे और नमकीन खाद्य पदार्थों के साथ दूध का सेवन न करें।


•दूध से बनी खीर को नमकीन या खट्टे के साथ सेवन न करें।


•दूध और दही का सेवन एक साथ न करें।


•खट्टे फल के साथ दूध का सेवन न करें।


•सब्जियों को कम से कम पकाने की कोशिश करें।


•खाने में कम से कम मिर्च, मसालों का प्रयोग करें।


•फ़्राइड भोजन कम से कम लें।


•कार्बोहाइड्रेट कम ले, प्रोटीन और विटामिन अधिक मात्रा में सेवन करें।


•खाने में प्रत्येक रंग की सब्जी और फलों का सेवन करने का प्रयास करें।


•फास्ट फूड और पॉकेट फूड स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक माने गये है।


•खाना कम मात्रा में खाए लेकिन सन्तुलित भोजन लें।


•भोजन ऐसा हो जो हमारे स्वास्थ्य के अनुकूल हो।

•ब्रह्ममुहूर्त में उठने की कोशिश करें।


•छिलके युक्त सब्जी और फलों का अधिक सेवन करें।


•अच्छे लोगों के सम्पर्क में रहे, अच्छा सोचे, अच्छा खाना खाए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है।


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