अर्जुन पेड़ के फायदे, उपयोग,सावधानियाँ और नुकसान Arjun chhal ke fayde,upayog,savdhaniyan aur nuksan

        Written by Dr.Virendra Singh 

           Edited by Pratibha Thakur 


अर्जुन पेड़ के फायदे, उपयोग,सावधानियाँ  और नुकसान

अर्जुन का पेड़
           


विषय सूची


  • अर्जन पेड़ का परिचय(Arjun ped ka parichay in Hindi)
  • रासायनिक संगठन(Rasaynik sangathan in Hindi)
  • अर्जुन की छाल Arjun ki chhal in Hindi)
  • अर्जुन की तासीर(Arjun ki taseer in Hindi)
  • अन्य भाषाओं में अर्जुन पेड़ के नाम(Anya bhashaon me arjun ped ke nam in Hindi)
  • अर्जुन पेड़ या छाल के फायदे(Arjun ped ya chhal ke fayde in Hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे हृदय को स्वस्थ रखने में(Arjun chhal ke fayde hriday ko svasth rakhne me in Hindi)
  • अर्जुन के फायदे कान के दर्द को ठीक करने में(Arjun ke fayde kaan ke dard ko thik karne me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे वजन नियंत्रण में(Arjun chhal ke fayde vajan niyantran me in hindi)
  • अर्जुन छाल के लाभ उच्च रक्त चाप में(Arjun chhal ke labh uch rakt chaap me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे त्वचा के लिए(arjun chhal ke fayde tvacha ke liye in Hindi)
  • अर्जुन छाल के लाभ हड्डियों को जोड़ने में(Arjun chhal ke labh haddhiyon ko jodne me in hindi)
  • अर्जुन की छाल के फायदे मधुमेह के नियंत्रण में(arjun ki chhal ke fayde madhumeh ke niyantran me in hindi)
  • अर्जुन छाल के लाभ कुष्ठ रोग में(Arjun chhal ke labh kushth rog me in hindi)
  • अर्जुन के फायदे ल्यूकोरिया में(arjun ke fayde lucoriya me in hindi)
  • अर्जुन छाल के लाभ रक्तप्रदर में(arjun chhal ke labh raktprader me in hindi)
  • अर्जुन की छाल के फायदे अल्सर घाव में(arjun ki chhal ke fayde ulcer ghav me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे पिम्पल्स में(arjun chhal ke fayde pimple me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे सूजन की समस्या में(arjun chhal ke fayde sujan ki samasya me in hindi)
  • अर्जुन छाल के लाभ बुखार में(arjun chhal ke labh bukhar me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे क्षय रोग में(arjun chhal ke fayde kshay rog me in hindi)
  • अर्जुन छाल के लाभ रक्तपित्त में (arjun chhal ke labh raktpitta me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे सर्दी खासी में(arjun chhal ke fayde sardi khansi me in hindi)
  • अर्जुन की छाल गुर्दे और लीवर में उपयोगी(Arjun ki chhal gurde aur liver me upayogi in hindi)
  • अर्जुन की छाल नेत्र रोग में(arjun ki chhal netra rog me in hindi)
  • अर्जुन की छाल के फायदे कैंसर में(arjun ki chhal ke fayde cencer me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे शुक्रमेह में(arjun chhal ke fayde shukrameh me in hindi)
  • अर्जुन की छाल मुखपाक से दिलाये राहत(Arjun ki chhal mukhpak se dilaye rahat in hindi)
  • अर्जुन की छाल पेट की गैस या ऐसिडिटी में(arjun ki chhal pet ki gais ya acidity me in hindi)
  • अर्जुन की छाल के फायदे मधुमेह के नियंत्रण में(arjun ki chhal ke fayde madhumeh ke niyantran me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे रक्तातिसार या पेचिश में(Arjun chhal ke fayde raktatisar ya pechish me in hindi)
  • अर्जुन छाल के फायदे मूत्राघात में(Arjun chhal ke fayde mootraghat me in hindi)
  • अर्जुन की छाल का सेवन करने की विधि(arjun ki chhal ka seven karne ki vidhi in hindi)
  • अर्जुन की छाल लेने से पहले सावधानियाँ(arjun ki chhal lene se pahle savdhaniya in hindi)
  • अर्जुन की छाल के नुकसान(Arjun ki chhal ke nuksan in hindi)
  • अर्जुन का पेड़ या छाल कहा पायी जाती है(Arjun ka ped ya chhal kaha paya jata he in hindi)

अर्जुन पेड़ का परिचय

अर्जुन का पेड़ एक बृहद जिसकी छाल श्वेतवर्णी,पत्ते सरल अभिमुखी,अल्प खुरदरे पाये जाते है।यह भारत के अनेक भागों में मुख्यतः नदी किनारे और घाटिओं में प्राप्त होने वाला वृक्ष है जिसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना(terminalia arjuna) है।आयुर्वेद चिकित्सा में इस पेड़ के पत्ते,छाल और फल का उपयोग रोगानुसार किया जाता है।


अर्जुन पेड़ के फायदे, उपयोग,सावधानियाँ  और नुकसान
अर्जुन का पेड़

रासायनिक संगठन


अर्जुन की छाल में बीटा-सिटोस्टेरॉल,फ्रेडलीन,अर्जुनिक अम्ल,ग्लूकोसाइड(अर्जुनेटिक),ट्राइटरपेनोइड(triterpenoids),शर्करा,टैनिन्स,मैग्नेशियम,सोडियम,कैल्शियम,एल्युमीनियम कैल्शियमकार्बोनेटएंटीमाईक्रोबियल तत्व पाये जाते है।


अर्जुन की छाल


अर्जुन की छाल पेड़ की बाहरी कवक की रूपरेखा होती है जो गहरे भूरे रंग की होती है। यह छाल बारीक और घर्षणशील होती है।इसको पेड़ से अलग कर आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता हैयह साल में एक बार पेड़ से निकल कर अपने आप गिर जाती है।इसका उपयोग चूर्णक्वॉथ या काढ़ा के रूप में किया जा सकता है।




अर्जुन पेड़ के फायदे, उपयोग,सावधानियाँ  और नुकसान
अर्जुन की तासीर

अर्जुन छाल की तासीर ठंडी होती है,इसका उपयोग शीतल गुणों के लिए किया जाता है।यह हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकती है और वात पित्त को शांत करने में भी मदद कर सकती है।


अन्य भाषाओं में अर्जुन पेड़ के नाम


इसका वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुन(Roxb)wt.& Am)terminalia Arjuna यह combretaceae कुल का पेड़ है।इसको भारत में अनेक नामों से जाना जाता है


इंगलिश नाम-अर्जुन ट्री( Arjun tree) या अर्जुना


हिन्दी-अर्जुन,कहुआ,काहू,कोह,काकुभ,अरजन


उड़िया-ऑर्जुनो


उर्दू-अर्जन


कन्नड़-मड्डी,बिल्लीमड्डी


तमिल-मरुदु,अट्टूमारूदू,वेलाइमरुदु


गुजराती-अर्जुन,सादादो,अर्जुनसदादा


तेलगू-इरमअद्दी,तेल्लामद्दी


बंगाली-अर्जुनगाछ,अर्झान


पंजाबी-अरजन


लयालम-वेल्लामरुतु


मराठी-अंजन


नेपाल-काहू


अरबी-अर्जुन पोस्त


अर्जुन पेड़ या छाल के फायदे


अर्जुन के पेड़ की छाल और फल का उपयोग औषधि विज्ञान में अनेक प्रकार से देखे गये है


हृदय को स्वस्थ रखने में


अर्जुन की छाल हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकती है। इसमें बीटासिटोस्टेरॉल,फ्रेडलीन,मैग्नीशियम,कैल्शियमकार्बोनेट,टैनिन्स

और ट्राइटर्पेनोइड नामक रसायन पाये जाते है जो हृदय की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।यह हृद्य,हृदयबल्य तथा हृदयोत्तेजक है।जब सामान्य धड़कन 72 से बढ़कर 150 रहने लगे तब एक गिलास टमाटर के रस में 1चम्मच अर्जुन छाल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलेगा।यह हृदय की तीव्र गति धड़कन को शान्त करने में मदद करती है और हृदय को विश्राम देने में सहायक माने गये है।यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करते हुए हृदय की ब्लॉकेज दूर करने में मदद करते है तथा यह स्ट्रोक के खतरे को कम करने में सहायक मानी गई है।


कान के दर्द में


अर्जुन के पत्तों का रस निकाल कर दो-तीन बूँद कान में डालने से कान के दर्द में आराम मिल सकता है क्योंकि यदि कान में दर्द बैक्टीरियल संक्रमण से है तो इसमें एंटीमाईक्रोबियल सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करने वाला गुण पाया जाता है जिससे कान के दर्द या इन्फेक्शन में लाभ मिल सकता है।


वजन नियंत्रण में


अर्जुन की छाल मेटाबोलिज्म को तेज कर देता है जिससे पाचन तंत्र मजबूत हो जाता है और खाना आसानी से पच जाता है जिससे हमारे शरीर में जो ऊर्जा की जरूरत होती है वो तो मिल जाती है और साथ में मेटाबोलिज्म बेहतर होने के कारण जो शरीर में अतिरिक्त फैट(वसा)है जो शरीर को मोटा कर देता है वो सन्तुलित बना रहता है और जो व्यक्ति मोटे है वो इस छाल का काढ़ा बना कर सुबह शाम सेवन करने से अतिरिक्त फैट या मोटापा  कम करने में मदद मिलेगी।


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उच्च रक्त चाप में


अर्जुन की छाल में बीटासिटोस्टेरोल,टैनिन्स,मैग्नीशियम,कैल्शियमकार्बोनेट तत्व पाये जाते है जो हृदय की मास्पेशियों को मजबूत बनाने के साथ साथ कोलेस्ट्रॉल और  ट्राइग्लिसराइड्स कम करके रक्त संचार को सुचारू रूप से संचालन करने  में सहायक माने गये है।इसकी १चम्मच अर्जुन की छाल को दो कप

पानी में उबालें,१कप पानी शेष रहने पर उतार कर छान ले हल्का गर्म होने पर इसका सेवन सुबह खाली पेट करना है स्वाद में कसाय होता है,यदि मधुमेह की समस्या नहीं है तो चाहे तो स्वादानुसार शहद मिलाकर लिया जा सकता है इसमें एंटीहाइपरटेंसिव उच्चरक्त चाप को कम करने वाले तत्व मौजूद है।


त्वचा के लिए


अर्जुन की छाल त्वचा के लिए बहुत ही उपयोगी मानी गई है इसमें मौजूद टेनिन्स,विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स तत्व त्वचा के स्वस्थ को बेहतर बनाने में उपयोगी माने गये है।इससे त्वचा में ग्लो,चमक,सुन्दर बनाये रखने के साथ साथ त्वचा में मोस्चरॉइज बना रहता है।अर्जुन की छाल का उपयोग  खुजली,चुभन,एक्जीमा और सोरायसिस जैसी त्वचा से संबंधित रोगों में भी उपयोगी सिद्ध हुआ है।यह हमारी त्वचा को जवा बनाये रखने में मदद करती है और हमारे त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करती है।


हड्डी जोड़ने में


अर्जुन की छाल कमजोर हड्डियों को जोड़ने में या कोई फेक्चर हो गया हो या हड्डी किसी करण टूट गई हो तो यह छाल मददगार मानी गई है। यह हड्डी को जोड़ने के साथ साथ उसके दर्द में भी राहत देने का कार्य करती है।इसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और टैनिन पाये जाते है जो अस्थिभग्र में हड्डी को जोड़ने का कार्य करती है।अर्जुन की छाल  चम्मच गुनगुने दूध के साथ सुबह शाम कुछ दिन सेवन करें,और जिस जगह हड्डी टूट गई है उस स्थान पर इसकी छाल को गो घ्रत में पीसकर लेप लगाये और उस स्थान में पट्टी बांध लें इससे हड्डी जुड़ने में मदद मिलेगी।


मधुमेह का नियंत्रण


अर्जुन की छाल मधुमेह (डायबिटीजके नियंत्रण में सहायक हो सकतीहै।क्योंकि इसमें फ्लैवॉनॉयड्स,एल्डोलेस,ग्लूकोसाइड,ग्लूकोनियोजनिकहेक्सोकाइनेज़मैग्नीशियम,कैल्शियमकार्बोनेट जैसे शक्तिशाली एंटीडायबिटिक गुण पाये जाते हैं जो लिवर और गुर्दे की कार्यक्षमता को बड़ा कर इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ावा देने में मदद करती हैं और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।


कुष्ठ रोग में


अर्जुन की छाल को  कुष्ठ और व्रण रोग में उपयोगी माना गया है।इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स,टेनिन्स और विटामिन सी जैसे तत्त्व मौजूद

होनें के कारण व्रण और कुष्ठ रोग को ठीक करने में मददगार साबित हो सकते है।व्रण में इसकी छाल का काढ़ा बना कर धुलने से या इस चूर्ण को 

कटे हुए घाव में भर कर पट्टी बांधने से घाव भरने में मदद मिलती है।कुष्ठ रोग में  चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण पानी के साथ सुबह शाम सेवन 

करें और इसकी छाल को पानी में पीसकर रुग्ण स्थान पर लेप लगाये लाभ मिलेगा।


ल्यूकोरिया में


यह स्त्रियों में पायी जाने वाली बीमारी होती है इसमें योनि से सफेद पानी(white Discharge) का स्राव होने लगता है।यह समस्या अनेक कारणों से हो सकती है जैसे कि अंदरूनी संक्रमणहॉर्मोनल असंतुलनयोनि की साफ सफाई में कमी,और बेक्टीरियल संक्रमण।अर्जुन की छाल में एंटीबैक्टीरियल औषधीय तत्व होते हैं जो योनि की साफ सफाई को सुधारने में मदद कर सकते हैं। इसमें टेनिन्स और फ्लैवोनॉयड्स जैसे तत्व पाए जाते हैंजो खून के संचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं और योनि के स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक हो सकता है और ल्यूकोरिया जैसी समस्या से 

राहत दिला सकती है।


रक्तप्रदर(अत्यधिक रक्तस्रावमें


अर्जुन की छाल महिलाओं में अत्यधिक रक्तस्राव (मेट्रोरेजियाकी समस्या में लाभकारी हो सकती है। मेट्रोरेजिया को इंटरमेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग भी कहा जाता है इसमें मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होता हैजिससे महिलाओं को कमजोरी,रक्ताल्पता,घबराहट,बेचैनीनींद कम आना,सिर दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।अर्जुन की छाल में औषधीय गुण पाए जाते है जो रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करते हैइसमें टेनिन्स,कैल्शियम और फ्लैवोनॉयड्स जैसे तत्व पाए जाते हैंजो खून के अत्याधिक स्राव को कम करने में मदद करते है और रक्त का संचार ठीक से करने में सहायक माने गये है।इस रोग के लिए  चम्मच अर्जुन की छाल को  कप दूध में उबाल कर,आधा शेष रहने पर मिश्री के साथ सुबह शाम सेवन करने से लाभ मिलेगा।


अल्सर घाव में


अर्जुन की छाल अल्सर में भी उपयोगी मानी गई है इसमें पहला गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है जो पेट की अंदरूनी दीवार की सुरक्षा का कार्य करती है और दूसरा साइटोप्रोटेक्टिव गुण मिलता है जो पेट को अल्सर से बचाव करने में सहायक होता है ये दोनों गुण अल्सर के घावों को भरने और पेट की दीवार को मरम्मत करने का काम करते है।इस रोग में  चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण पानी या दूध के साथ सुबह शाम सेवन करें और इसकी छाल को पानी में पीसकर रुग्ण स्थान या कही घाव है उस पर लेप लगाने से  लाभ मिलेगा।


पिंपल्स में


अर्जुन की छाल में टेनिन्स और विटामिन सी पायी जाती है जो स्किन को स्वस्थ बनाने रखनें में सहायक मानी गई है नियमित रूप से इसकी छाल का चेहरे पर लेप लगाने से नये कोशिकाओं का निर्माण होता है,चेहरे से झुर्रियाँ,दाने,काले धब्बे,ऐक्ने साफ हो जाते है जिससे चेहरे में निखार आता है और पिंपल ठीक हो जाते है।


सूजन की समस्या में


अर्जुन की छाल में कुछ घटक एसे पाये जाते है जो शरीर की सूजन को कम करने में सहायक माने गये है। हमारे किसी अंग में सूजन  जाने पर इसकी छाल का काढ़ा या चूर्ण सेवन करने पर दर्द और सूजन दोनों में राहत मिलेगी।


बुखार में


अर्जुन की छाल को बुखार में भी उपयोगी देखा गया है इसमें उपस्थित लार्वानाशक(larvicidal) जो बुखार को कम करने में मदद करता हैयह डेंगू बुखार में भी सहायक माना गया है।बुखार में अर्जुन की छाल का काढ़ा सेवन करने से आराम मिलेगा या  चम्मच अर्जुन की छाल चूर्ण को गुड के साथ सुबह शाम सेवन करने से आराम मिलेगा।


क्षय रोग या टीबी में 


अर्जुन की छाल में एंटीट्यूसिव तत्व पाया जाता है जो खासी ,जुखाम के साथ साथ तपेदिक या क्षय रोग में भी लाभकारी साबित हुआ है।अर्जुन की छाल को नागबला और केवाच बीज का चूर्ण  से  ग्राम में गो घी,मिश्री,मधु को दूध के साथ सेवन करने से इस रोग में लाभ मिलेगी।


 रक्तपित्त में


अर्जुन की छाल रक्तपित्त में भी उपयोगी साबित हुआ है क्योंकि इसकी छाल में मौजूद आर्जुनिक अम्ल,आर्जुनेटिक,टेनिन्स,मैग्नीशियम और बीटासिटोस्टेरोल जैसे अनेक महत्वपूर्ण औषधीय गुण पाये जाते है जो रक्तपित्त के द्वारा हमारे कान और नाक से रक्त का स्राव होता है उसको कम करने में लाभ मिलता है।दो चम्मच अर्जुन की छाल को रात भर पानी में भिगा दे सुबह उसको उबाल कर काढ़ा बना कर सेवन करें लाभ मिलेगा।


सर्दी खासी में 


अर्जुन की छाल में एंटीट्यूसिव कफ कम करने वाला तत्व पाया जाता है जो सर्दी,खासी,जुखाम में लाभकारी साबित हुआ है।अर्जुन की छाल को नागबला और केवाच बीज का चूर्ण  से  ग्राम में गो घी,मिश्री,मधु को दूध के साथ सेवन करने से सर्दी खासी में राहत मिलेगी।


गुर्दे और लिवर में उपयोगी


अर्जुन की छाल में मैग्नीशियम कैल्शियमकार्बोनेट,बीटासिटोस्टेरोल और टेनिन्स जैसे अदभुत तत्व विद्यमान है जो गुर्दे और लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करते है यह गुर्दे कि क्रियाशीलता और कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहयोग करता है।इसमें अनेक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट् तत्वों की उपस्थिति के कारण लीवर को क्षति से बचाने और कार्यशीलता को बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध हुआ है। अनेक प्रकार के विषाक्त पदार्थों के कारण लीवर में हुए नुकसान को ठीक करने में,लीवर में वसा का चयापचय और सूजन को ठीक करने में सहायक माना गया है।इन सभी तथ्यों को देखते हुए यह कहना उचित होगा कि लीवर और गुर्दे दोनों में अर्जुन की छाल का महत्वपूर्ण उपयोग है।अर्जुन की छाल का काढ़ा बना कर सुबह शाम सेवन करने से लाभ मिल सकता है।


नेत्र रोग में(नेत्रशोथ)


अर्जुन की छाल को नेत्र में सूजन ,जलन,दर्द होने पर छाल को पानी या दूध में पीस कर लेप लगाने से आराम मिलेगा।


कैंसर में


अर्जुन की छाल में कासुआर्निन (Casuarinin) नामक एंटीकैंसरस घटक पाया जाता है जो कैंसर सेल की ग्रोथ को बढ़ने से रोकने में मदद करता है और कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सहायक हो सकता है।जो कैंसर के रोगी है उनको ठीक होने में मददगार साबित हो सकती है।अर्जुन की छाल को गर्म दूध के साथ सेवन करने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है और जो समस्या से ग्रसित है उनको इसके सेवन से लाभ मिल सकता है।


शुक्रमेह में(धातु गिरना)


 शुक्रमेह या स्पर्मेटोरिया एक प्रमुख वीर्य सम्बंधित रोग होता है,जो पुरुषों में पाया जाता है।इसमें वीर्य अनियमित रूप से बिना इच्छा के निकल जाता है। यह दो शब्दों से मिल कर बना है शुक्र(वीर्यऔर मेह(पेशाबअर्थात पेशाब के साथ सीमेन निकलना,इस रोग के कारण शारीरिक कमजोरी और मानसिक तनाव पैदा कर सकता हैं। इसे धातु गिरनाधातु की समस्या,आदमियों का प्रमेहगुप्त रोग,या धातु रोग के नाम से भी जाना जाता है।यह एक गंभीर समस्या हो सकती है जो पुरुषों के जीवन की गुणवत्ता पर असर डाल सकती है।इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर १५ से २० मिली सुबह शाम सेवन करने से इस रोग को ठीक करने में मदद मिलेगी।


मुखपाक से दिलाये राहत 


मुख में छाले या गले में छाले पेट में गर्मी के कारण ,कब्ज,पित्त की मात्रा बढने से,ठीक से खाना  पचने पर,गैस की समस्या होने पर ,पानी की मात्रा कम लेने पर या जब हमारी बड़ी आँत ठीक से साफ नहीं रहती तब हमारे मुख या गले में छाले उत्पन्न हो जाते है। अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होती है,जो छालों को ठीक करने में सहायक मानी गई हैइसमें अर्जुन की छाल को पीसकर उसका लेप बनाये और फिर इस लेप को मुख के अन्दर लगाया जा सकता है।इसके बाद गुनगुने पानी का कुल्ला करें जिससे मुखपाक में आराम मिलेगा।अर्जुन की छाल में आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं और मुख के छालों में लाभ पहुँचाने में सहायक होते है।


पेट की गैस या एसिडिटी


अर्जुन की छाल पेट की एसिडिटी के लिए लाभकारी माना गया है। इसमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और आर्जुनिक अम्ल पाये जाते हैं जो पेट की एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह गैसएसिडिटीऔर पेट में जलन जैसी समस्याओं को शांत करने में सहायक हो सकती है।


मधुमेह का नियंत्रण


अर्जुन की छाल मधुमेह (डायबिटीजके नियंत्रण में सहायक हो सकती है। क्योंकि इसमें फ्लैवॉनॉयड्स,एल्डोलेस,ग्लूकोसाइड,ग्लूकोनियोजनिकहेक्सोकाइनेज़मैग्नीशियम,कैल्शियमकार्बोनेट जैसे शक्तिशाली एंटीडायबिटिक गुण पाये जाते हैं जो लिवर और गुर्दे की कार्यक्षमता को बड़ा कर इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ावा देने में मदद करती हैं और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।


रक्तातिसार या पेचिश से दिलाये राहत


अर्जुन की छाल में टैनिन्स,फ्लैवोनॉयड्स,और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व पाए जाते हैं।ये तत्व आंत्रिक प्रणाली के स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इनके गुणधर्मों के कारणयह आंत की जलन को कम करनेसूजन को कम करने और आंत की तंतुओं को स्वास्थ्यपूर्ण बनाने में सहायक मानी गई है।अर्जुन छाल का  ग्राम चूर्ण,गाय का दूध ३०० मि.ली,१०० ग्राम पानी डाल कर धीमी आंच में पकायें।जब दूध मात्र शेष रह जाये उसे उतार कर उसमें १० ग्राम मिश्री मिला कर रोज सुबह सेवन करने से लाभ मिलता है।रक्तातिसार या पेचिश में आंत्रिक परत में सूजन और जलन हो जाती हैजिससे खून आने की समस्यापेट में दर्द और दस्त जैसे लक्षण हो सकते हैं।अर्जुन की छाल के गुणधर्मों से यह लक्षण कम करके आंत्रिक परत पर सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है और उसको ठीक करने में मददगार साबित हो सकती है।


मूत्राघात में(यूरिनरी इन्फेक्शन)


अर्जुन की छाल मूत्राघात (मूत्रमार्ग संक्रमणमें भी लाभप्रद हो सकती है। यह पेशाब करने में दर्दजलन और सूजन जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकती है। इसमें मूत्रशोथ होने पर भी आराम प्रदान करने की क्षमता होती है।इसमें प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल,एंटीऑक्सीडेंट्स,मैग्निशियम,कैल्शियम जैसे अनेक तत्व पाये जाते है,जो मूत्रमार्ग की समस्याओं को कम करने में सहायक माने गये है।


अर्जुन की छाल का सेवन करने की विधि


अर्जुन की छाल,फल या पत्तों का प्रयोग यदि किसी विशेष उद्देस या रोग में उपयोग करना चाहते है तो अपने चिकित्सक से परामर्श जरुर लें क्योंकि प्रत्येक रोग में इसकी मात्रा अलग हो सकती है और लेने का तरीक़ा अलग हो सकता है।अर्जुन की छाल का सेवन चूर्ण के रूप में,चाय के रूप में,काढ़े के रूप में उपयोग किया जा सकता हैजो बाजार में कही भी आयुर्वेदिक दुकान में उपलब्ध हो जाएगा।


अर्जुन की छाल लेने से पहले सावधानियाँ


अर्जुन की छाल लेने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान रखना जरुरी माना गया है इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं मिलते फिर भी हमे उसका पूर्ण लाभ उठाने के लिये कुछ बातों पर सावधानी रखनी जरुरी मानी गई है।

  • यदि कोई मेडिकल कंडीशन या किसी प्रकार की दवा का सेवन कर रहे है तो आप अर्जुन की छाल सेवन करने से पहले अपने डाक्टर से परामर्श लेना अनिवार्य है।
  • किसी भी प्रकार से आपको यदि एलर्जी की समस्या है तो अर्जुन की छाल लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें।
  • गर्भावस्था के दौरान अर्जुन की छाल का सेवन बिना डाक्टर के सलाह के नहीं लेना चाहिए।
  • स्तनपान कराने वाली महिला को अर्जुन की छाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अर्जुन की छाल का सेवन रोगानुसार उचित मात्रा में होना चाहिये इसीलिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इसका सेवन करें।

अर्जुन की छाल के नुकसान


कोई भी दबा हो या कोई भी औषधि हो उसको उचित मात्रा में सेवन करना अनिवार्य माना गया है यदि उसका सेवन कम या अधिक हो जाये तो लाभ की जगह नुकसान भी हो सकते है इसीलिए कहा गया है कि हर मर्ज की दवा और मात्रा अलग हो सकती है।इसीलिये डॉक्टर या चिकित्सक से परामर्श लेना उचित माना गया है।इसमें कुछ नुकसान इस तरह देखने को मिलते है

  • इसके अत्यधिक सेवन से कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • अर्जुन की छाल से कभी कभी सरदर्द और बदन दर्द हो सकता है।
  • इसके अधिक सेवन से हल्की कमजोरी के साथ मितली और उल्टी हो सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से पेट में दर्द ,मरोड़,गैस और पेट में सूजन हो सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से पेट खराब या डायरिया की समस्या हो सकती है।
  • अर्जुन की छाल ब्लड प्रेशर को कम करने का कार्य करती है।यदि आपका रक्तचाप पहले से ही कम है तो इसका अधिक सेवन से और रक्तचाप कम हो जाएगा जिससे निम्न रक्तचाप बढ़ सकता है तथा लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
  • अर्जुन की छाल में ग्लूकोस भी पाया जाता है इसीलिए यदि हम इसका अधिक सेवन करते है और हमें मधुमेह की समस्या पहले से ही है तो ग्लूकोस का स्तर हमारे शरीर में बढ़ सकता है जिससे समस्या बढ़ सकती है।
  • अर्जुन की छाल खून को पतला करने में सहायक मानी गई है लेकिन अधिक सेवन से यह खून की जमने की क्षमता को कम कर सकती है।इसीलिए इसका उचित मात्रा में सेवन करना जरुरी माना गया है।

अर्जुन का पेड़ या छाल कहा पायी जाती है


अर्जुन का पेड़ एक वृहद् वृक्ष है यह भारत के अनेक हिस्सों में पाया जाता है अक्सर यह जंगलों मेंनदी किनारे,तलहटीं,तटवर्तीय क्षेत्र,पहाड़ियों,नालों के किनारे और घाटियों में देखने को मिलता है।
















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